दिल्ली की सीमाओं पर डटे प्रदर्शनकारी किसानों को हटाने की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट आज सुनवाई करेगा. एक कानूनी छात्र, ऋषभ शर्मा द्वारा दायर याचिका पर मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे, जस्टिस ए एस बोपन्ना और वी रामसुब्रमण्यन की पीठ द्वारा सुनवाई की जाएगी. याचिका में कहा गया है कि रास्ता बंद होने से यात्रियों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है और इससे कोविड-19 के मामलों में भी इजाफा हो सकता है. याचिका में कोर्ट द्वारा अधिकारियों को यह निर्देश देने की मांग की गई है कि वे केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे किसानों को तत्काल हटाएं.
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याचिका में यह भी कहा गया है कि यह नागरिकता संशोधन अधिनियम, 2019 के खिलाफ शाहीन बाग विरोध प्रदर्शन में शीर्ष अदालत के द्वारा दिए गए फैसले की अवमानना है. बता दें कि शाहीनबाग मसले पर सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया था कि भविष्य में इस तरह रोड बंद करके कोई नया शाहीनबाग नहीं बनना चाहिए. लेकिन पिछले 21 दिनों से हजारों की संख्या में किसान दिल्ली के अलग-अलग बॉर्डर पर रास्तों को बंद करके बैठे हैं. खासकर हरियाणा और पंजाब के किसान यहां धरना दे रहे हैं. किसान तीनों कृषि कानूनों को खत्म किए जाने की मांग पर अड़े हुए हैं.
याचिकाकर्ता ने अधिकारियों को दिल्ली की सीमाओं की सड़कें खुलवाने, प्रदर्शनकारियों को आवंटित स्थान पर स्थानांतरित करने और कोविड-19 पर लगाम लगाने के लिए प्रदर्शन स्थल पर सामाजिक दूरी का पालन और मास्क लगाने जैसे नियमों का पालन सुनिश्चित कराने को कहा है. याचिका में दावा किया गया कि दिल्ली पुलिस ने 27 नवंबर को प्रदर्शनकारियों को यहां बुराड़ी में निरंकारी मैदान पर शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने की इजाजत दी थी लेकिन इसके बावजूद उन्होंने राष्ट्रीय राजधानी की सीमाओं को बंद कर दिया.
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छात्र की ओर से अधिवक्ता ओम प्रकाश परिहार के जरिए दायर याचिका में कहा गया, 'दिल्ली की सीमाओं पर जारी प्रदर्शन की वजह से प्रदर्शनकारियों ने रास्ते बंद कर रखे हैं और सीमा बिंदु बंद हैं और गाड़ियों की आवाजाही बाधित है जिससे यहां प्रतिष्ठित सरकारी और निजी अस्पतालों में इलाज के लिए आने वालों को भी मुश्किलें हो रही हैं.' जिसके बाद कोर्ट इस याचिका को स्वीकार करते हुए सुनवाई के लिए तैयार हो गया. आज इस मसले पर कोर्ट में सुनवाई होने जा रही है.