सनातन धर्म में ॐ शब्द को बहुत महत्वपूर्ण माना गया है. इस शब्द के उच्चारण से आसपास का क्षेत्र और मन पूरी तरह सकारात्मक हो जाता है. ऐसा माना जाता है कि इसकी ध्वनि में इतनी ताकत होती है कि यह शक्ति संचारित करने लगती है. इसीलिए आपने देखा होगा कि जब सनातनी भगवान शंकर की पूजा करते हैं तो ॐ नमः शिवाय कहते हैं. जैसा कि आप जानते हैं कि शिव ऊर्जा के रूप में हैं और यदि उनके जाप से पहले ॐ जुड़ जाता है तो इससे बड़ी दुनिया में कोई ऊर्जा नहीं है.
आप सोच रहे होंगे कि आज हम ॐ की क्यों बात कर रहे हैं? दरअसल, राजस्थान में ॐ की मंदिर बनकर तैयार हुई है. बता दें कि ये दुनिया का पहला मंदिर है, जो ॐ के आकार का है. ये मंदिर राजस्थान के पाली जिले में बनकर तैयार हुआ है. इस मंदिर की चर्चा हर जगह सुनने को मिल रही है.
28 साल बाद पूरा हुआ शिव भक्तों का सपना
आपको जानकर हैरानी होगी कि इस मंदिर का निर्माण 1995 में शुरू हुआ था और अब यह 2024 में बनकर तैयार हुआ है, यानी 28 साल बाद शिव भक्तों का सपना पूरा हुआ है. इस मंदिर की नींव साल 1995 में रखी गई थी. यह मंदिर लगभग 270 एकड़ में फैला हुआ है. इस मंदिर में भगवान शंकर की 1008 मूर्तियां हैं, जिनमें से 12 ज्योतिर्लिंग हैं. 1200 खंभों पर आधारित यह मंदिर 135 फीट ऊंचा है.
इस मंदिर में 108 कमरे हैं. मंदिर परिसर में आपको केंद्र गुरु माधवानंद जी की समाधि बनी हुई मिलेगी. इस मंदिर का उद्घाटन 10 फरवरी को हुआ था, जिसमें शिव पुराण की कथा रखी गई थी. इस आयोजन में भाग लेने के लिए दूर-दूर से लोग आये थे.
ॐ क्यों है महत्व?
"ॐ" को प्राणव कहा जाता है, जो सबसे प्राचीन और पवित्र ध्यान का प्रतीक है. इसे ध्यान, मन्त्र, और आध्यात्मिक अभ्यास में उपयोग किया जाता है. ध्यान का आधार: "ॐ" शब्द हमें ध्यान में संरक्षित करने का एक धार्मिक और आध्यात्मिक आधार प्रदान करता है. यह हमें मन को शांति और एकाग्रता में ले जाता है. "ॐ" का उच्चारण हमें ब्रह्म के साकार और निराकार स्वरूप का अनुभव कराता है. यह हमें सच्चाई, परम सत्य, और अच्युत के प्रति आदर्श को समझाता है.
Source : News Nation Bureau