कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू की पंजाब कैबिनेट में वापसी अधर में लटक गई है, क्योंकि कांग्रेस के नेतृत्व और महासचिव प्रभारी हरीश रावत के प्रयासों के बावजूद मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की ओर से ऐसा होने के कोई संकेत नहीं हैं. कैप्टन अमरिंदर सिंह और नवजोत सिंह सिद्धू दो बार मिले हैं, लेकिन इस संबंध में अभी तक दोनों तरफ से सफलता का कोई संकेत नहीं मिला है. सूत्रों का कहना है कि सिद्धू अपना पुराना पोर्टफोलियो वापस चाहते हैं, जो अमरिंदर को मंजूर नहीं है. सिद्धू पिछली बार 17 मार्च को सिंह से मिले थे. बैठक के एक दिन बाद, जब पंजाब के मुख्यमंत्री से सिद्धू की कैबिनेट में वापसी के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा, हर कोई चाहता है कि वह हमारी टीम का हिस्सा बने.
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उन्हें उम्मीद थी कि सिद्धू, जिन्हें वह बाद से जानते थे, एक बच्चा था और जिनके साथ बुधवार को भी उनकी बहुत ही सौहार्दपूर्ण बैठकें होती थीं, जल्द ही वह वापस ज्वाइन करने का फैसला लेंगे. सिद्धू ने सोमवार को हिंदी में ट्वीट करते हुए लिखा कि ख्वाहिशें मेरी अधूरी ही सही, पर कोशिशें मैं पूरी करता हूं. वैसे इस ट्वीट में सिद्धू ने किसी का नाम नहीं लिया, लेकिन इसे ताजा घटनाक्रमों के साथ जोड़कर देखा जा रहा है. बता दें कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) छोड़कर नवजोत सिंह सिद्धू कांग्रेस में आए थे तो उनका कद काफी बढ़ा हुआ माना जा रहा था, लेकिन अब वह धीरे-धीरे कांग्रेस की अंदरूनी गुटबाजी का शिकार हो रहे हैं. अब उनकी पंजाब कैबिनेट में शामिल होने की उम्मीदों पर पानी फिरता दिख रहा है. इस बीच उन्होंने इशारों ही इशारों में ट्वीट करके अपनी बात रखी है.
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हालांकि खबर यह है कि कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व पूर्व क्रिकेटर सिद्धू को पार्टी के लिए स्टार प्रचारक बनाने का इच्छुक है. अहम पोर्टफोलियो छीन लिए जाने के बाद जुलाई 2019 में सिद्धू ने पंजाब कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया था. वह स्थानीय निकाय की जिम्मेदारी संभाल रहे थे, लेकिन उन्हें बिजली विभाग में स्थानांतरित कर दिया गया था. सूत्रों ने कहा कि दोनों नेताओं के बीच उस समय अधिक तनावपूर्ण स्थिति पैदा हो गई थी, जब सिद्धू की पत्नी नवजोत कौर को 2019 में लोकसभा चुनाव के लिए पार्टी के टिकट से वंचित कर दिया गया था. कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी हरीश रावत ने पिछले हफ्ते अमरिंदर सिंह और सिद्धू से मुलाकात की थी.