केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में अभी 4G इंटरनेट की तुरंत बहाली नहीं होगी. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने इस मांग पर आदेश जारी करने के बजाए एक कमेटी का गठन करने को कहा है. कोर्ट ने कहा है कि राष्ट्रीय सुरक्षा और मूल अधिकारों के बीच संतुलन बनाए जाने की जरूरत है. कोर्ट ने सोमवार को जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) में 4 जी इंटरनेट सेवाओं की बहाली के लिए विभिन्न दलीलों पर अपना फैसला सुनाया. कोर्ट ने कहा कि विभिन्न याचिकाकर्ताओं द्वारा उठाए गए विवादों को देखने के लिए एक उच्चस्तरीय समिति को तत्काल गठित किया जाना चाहिए.
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कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं द्वारा उठाए गए विवादों पर गौर करने के लिए एक उच्चाधिकार प्राप्त समिति का गठन करने का आदेश दिया. इस समिति का नेतृत्व MHA सचिव द्वारा किया जाना है. गृह सचिव के नेतृत्व में ये कमेटी याचिकाकर्ताओ की ओर से 4G कनेक्टिविटी न होने चलते उठाई गई परेशानियों और मांगों पर विचार करेगी. ये कमिटी हर जिले में सुरक्षा पर खतरे की समीक्षा करेगी. उस हिसाब से अलग-अलग जिलों में 4G इंटरनेट बहाल करने या न करने पर फैसला लिया जाएगा.
4G restoration in J&K matter: Supreme Court orders setting up of a high powered committee to look into the contentions raised by various petitioners. Committee has to be headed by the MHA Secretary pic.twitter.com/Y18Ikd7tbU
— ANI (@ANI) May 11, 2020
न्यायमूर्ति एन वी रमना ने कहा कि एक ही समय में अदालत चल रही महामारी और कठिनाइयों से संबंधित चिंताओं के प्रति संज्ञान में है. उन्होंने कहा कि इस अदालत को यह सुनिश्चित करना है कि राष्ट्रीय सुरक्षा और मानवाधिकार संतुलित हों. उन्होंने यह भी कहा कि हम समझते हैं कि केंद्र शासित प्रदेश में कई संकट हैं.
This court has to ensure that national security and human rights are balanced. We do recognize that UT has plunged into crisis. At the same time court is cognizant to the concerns related to ongoing pandemic and hardships, Justice NV Ramana said. https://t.co/CY5ZbnNmjZ
— ANI (@ANI) May 11, 2020
इससे पहले बीते दिनों जम्मू कश्मीर प्रशासन ने कोर्ट में कहा था कि राज्य के भीतर सक्रिय आतंकी मॉड्यूल और सीमा पार बैठे उनके आका फर्जी खबरें प्रसारित करके लोगों को भड़का रहे हैं. प्रशासन ने 4जी इटरनेट सेवा बहाल करने का विरोध करते हुये कोर्ट में एक हलफनामा दाखिल किया था. इस हलफनामे में कहा गया था कि आतंकी गतिविधियों को बढ़ावा देने और भड़काऊ सामग्री, विशेष रूप से फर्जी खबरों तथा फोटो और वीडियो क्लिप के प्रसारण से लोगों को उकसाने के लिये इंटरनेट सेवा के दुरूपयोग की आशंका है, जो सुरक्षा और सार्वजनिक व्यवस्था के लिए खतरा है.
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प्रशासन ने कहा था कि 4जी इंटरनेट सेवा बहाल करने से वीडियो क्लिप और दूसरी प्रचार सामग्री अपलोड करने और उसे डाउनलोड करने के लिये सोशल मीडिया और दूसरे ऑनलाइन प्लेटफार्म का इस्तेमाल काफी हद तक बढ़ जाएगा. इस तरह की सामग्री का तेजी से प्रसारण होने से कश्मीर घाटी में कानून व्यवस्था की स्थिति बिगड़ेगी. हलफनामे में कहा गया कि इंटरनेट का इस्तेमाल धन जुटाने, युवकों को भर्ती करने और दुष्प्रचार करने जैसे कामों के लिये करके छद्म युद्ध को मदद मिल रही है. इंटरनेट की उपलब्धता जम्मू कश्मीर के युवाओं के दिमाग में आसानी से पैठ बनाने का साधन है.
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