अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) के भारत दौरे पर सभी की निगाह है. ट्रंप के भारत दौरे पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) के साथ कई अहम समझौते पर हस्ताक्षर होने हैं. भारत ने ट्रंप की इस पूरी यात्रा को खास बनाने के लिए विशेष इंतजाम किए हैं. सूत्रों के मुताबिक ट्रंप-मोदी दोस्ती के इतर इस दौरे पर दोनों देश पांच ऐसे डील करने वाले हैं, जो भारत-अमेरिका संबंधों को नए सिरे से परिभाषित करेंगे. भारत और अमेरिका के बीच सिविल न्यूक्लियर डील के तहत रिएक्टर समझौता, रक्षा सौदा, सीमित ट्रेड डील, घरेलू सुरक्षा और बौद्धिक संपदा कानून का समझौता हो सकता है.
उठ सकता है H-1 B वीजा का मुद्दा
भारत पिछले काफी समय से अमेरिका के सामने H-1 B वीजा का मुद्दा उठाता रहा है. अमेरिका में रह रहे भारतीयों के लिए H-1 B वीजा सबसे बड़ी परेशानी है. जानकारी के मुताबिक राष्ट्रपति बनने के बाद ट्रंप ने भारतीयों के लिए H-1 B वीजा के नियम कड़े कर दिए थे. इसके बाद भारतीय युवाओं का अमेरिका ड्रीम आसान नहीं रह गया है. सूत्रों के मुताबिक ट्रंप की भारत यात्रा पर इस मुद्दे को फिर उठाया जा सकता है.
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अमेरिका इंपोर्ट ड्यूटी पर भारत से कर सकता है बात
भारत ही में भारत ने अमेरिका से निर्यात किए जाने वाले सामान पर इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ा दी थी. इसके बाद अमेरिका ने भारत के सामने कड़ा विरोध जताया था लेकिन भारत अपने इस फैसले से पीछे नहीं हटा. सूत्रों के मुताबिक दोनों देशों के बीच इस मुद्दे को भी बातचीत की जा सकती है. अगर अमेरिका भारत के प्रति नरम रुख अपनाता है तो भारत इस मुद्दे पर अमेरिका को सकारात्मत रुख दिखा सकता है.
अमेरिका से हो सकती है बड़ी डिफेंस डील
भारत दुनिया के सबसे हथियारों की खरीदारी वाले देशों में शामिल है. पिछले साल S-400 मिसाइल समझौता रूस से होने के बाद ट्रंप बेचैन हो गए थे. अब अमेरिका एक बार फिर डिफेंस डील को लेकर भारत को खुश करने की कोशिश कर सकता है. हालांकि ट्रंप के दौरे से ठीक पहले मोदी सरकार ने अमेरिका से 24 MH-60 रोमियो हेलिकॉप्टर और छह AH-64E APACHE हेलिकॉप्टर खरीदने की मंजूरी दी है. माना जा रहा है कि ट्रंप की इस यात्रा पर दोनों देशों के बीच इस मुद्दे पर मुहर लग सकती है.
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न्यूक्लिर डील पर बनेगी बात?
भारत ने 2008 में अमेरिका के साथ न्यूक्लियर डील की थी. हालांकि इस परमाणु समझौते के तहत किसी दुर्घटना की जिम्मेदारी पूरी तरह सप्लायर पर डालने के प्रावधान से अमेरिका थोड़ा चिंतित था. हालांकि इसमें ऑपरेटर की भूमिका को भी शामिल किया गया. माना जा रहा है कि इस यात्रा में दोनों देश नरमी दिखाकर इस डील को आगे बढ़ा सकते हैं.