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तीन नए कानून के लागू होने पर क्रिमिनल​ जस्टिस सिस्टम में होंगे ये बदलाव, अधिसूचना जारी

भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम अब पुराने भारतीय दंड संहिता, आपराधिक प्रक्रिया संहिता और साक्ष्य अधिनियम की जगह लेने वाले हैं. 

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Mohit Saxena
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criminal justice systecriminal justice syste( Photo Credit : social media)

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केंद्र सरकार की ओर से पारित तीन नए कानूनों को लागू करने की अधिसूचना जारी की गई है. इन कानूनों को एक जुलाई 2024 से लागू किया जाएगा. ये तीन नए आपराधिक कानून भारतीय दंड संहिता, आपराधिक प्रक्रिया संहिता और साक्ष्य अधिनियम की जगह पर आएंगे. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इन तीनों कानूनों को दिसंबर में ही मंजूरी प्रदान कर दी थी. तब ये तीनों विधेयक कानून बन गए. अब इन्हें लागू करने की अधिसूचना जारी की गई है. भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम अब पुराने भारतीय दंड संहिता, आपराधिक प्रक्रिया संहिता और साक्ष्य अधिनियम की जगह लेने वाले हैं. 

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आपको बता दें कि भारतीय दंड संंहिता, आपराधिक प्रक्रिया संंहिता और साक्ष्य अधिनियम ये अंग्रेजों के समय से चला आ रहा है. इससे अब लोगों को छुटकारा मिल सकेगा. नए कानून में मॉब लिंचित, नाबालिग से गैंगरेप आदि घिनौनी हरकतों को लेकर आजीवन कारावार और फांस की सजा का प्रावधान है. 

इन तीनों कानूनों को बीते साल 21 दिसंबर को संसद से मंजूरी मिली थी. वहीं, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इस कानून को लेकर 25 दिसंबर को अपनी सहमति दे दी थी. भारतीय साक्ष्य संहिता विधेयक 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023, भारतीय न्याय संहिता 2023 को शीतकालीन सत्र के दौरान संसद के दोनों सदनों की ओर से पारित किया गया था. 

आपको बता दें कि राज्यसभा में आपराधिक बिल को पेश करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का कहना था कि इन कानूनों के लागू होने के बाद 'तारीख-पे-तारीख' युग का पूरी तरह से अंत हो जाएगा। तीन वर्ष के अंदर न्याय मिल सकेगा। अमित शाह ने इन बिलों को ऐतिहासिक श्रेणी में रखते हुए बताया था कि इन कानूनों से नागरिकों   के अधिकारों को सर्वोपरि रखा जाएगा। इसके साथ महिलाओं एवं बच्चों की सुरक्षा को प्राथमिकता मिलेगी। 

किसमें क्या बदल गया- IPC 

कौन सा कृत्य अपराध होगा। इसके लिए क्या सजा मिलेगी। ये आईपीसी से तय होगा। अब इसे भारतीय न्याय संहिता कहा जाएगा। आईपीसी में 511 धाराएं रखी गई थीं। इस दौरान 21 नए अपराध जोड़े गए हैं। वहीं 41 अपराधों में कारावास की अवधि बढ़ाई गई है। वहीं 82 अपराधों में जुर्माना बढ़ाया गया है। वहीं 25 अपराधों में न्यूनतम सजा आरंभ की गई है। छह अपराधों में सामुदायिक सेवा का दंड रहेगा और 19 धाराओं को खत्म किया जाएगा। 

Source : News Nation Bureau

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