प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बनारस से निर्वाचन के खिलाफ बीएसएफ के पूर्व जवान तेजबहादुर ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दायर की है. अर्जी में इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा याचिका रद्द होने के फैसले को चुनौती दी थी. इलाहाबाद हाईकोर्ट का मानना था कि तेजबहादुर न तो बनारस के वोटर है और न ही प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ उम्मीदवार थे. इस आधार पर उनका चुनावी याचिका दाखिल करने का कोई औचित्य नहीं बनता. बनारस से पीएम मोदी के खिलाफ चुनाव के इच्छुक तेज बहादुर का नामाकंन गलत जानकारी देने के कारण रद्द कर दिया गया था.
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बीएसएफ के पूर्व जवान तेज बहादुर यादव ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ वाराणसी से नामांकन किया था. बाद में गलत जानकारी देने के आरोप में उनका नामांकन रद्द कर दिया गया. तेज बहादुर को बीएसएफ जवानों को परोसे जाने वाले खाने की क्वालिटी के बारे में शिकायत करते हुए एक वीडियो पोस्ट करने के बाद 2017 में बर्खास्त कर दिया गया था. पिछले साल हुए हरियाणा चुनाव में वह दुष्यंत चौटाला नीत जननायक जनता पार्टी (JJP) में शामिल हो गए थे. हालांकि वह मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के खिलाफ चुनाव लड़े और हार गए.
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इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने तेज बहादुर यादव की उस याचिका को खारिज कर दिया था जिसमें उन्होंने जिला निर्वाचन कार्यालय के फ़ैसले को चुनौती दी थी. तेज बहादुर ने दो नामांकन पत्र भरे थे. एक 24 अप्रैल को बतौर निर्दलीय उम्मीदवार और दूसरा 29 अप्रैल को सपा-बसपा गठबंधन के उम्मीदवार के रूप में. मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने याचिका ख़ारिज करते हुए अपने आदेश में कहा, "हमें इस याचिका को स्वीकार करने की कोई वजह नहीं दिखती.
Source : News Nation Bureau