राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक, 2023, जो दिल्ली सरकार में वरिष्ठ अधिकारियों के तबादलों और पोस्टिंग से संबंधित है, उसे आज यानी सोमवार को राज्यसभा में 131 वोटों के साथ पारित कर दिया गया. यह विधेयक 3 अगस्त को लोकसभा द्वारा पारित किया गया था और अब राज्यसभा में पारित होने के बाद इसे कानून बनने के लिए राष्ट्रपति की मंजूरी का इंतजार होगा. इस बिल को लेकर कई दिनों से खींचतान चल रही थी, आखिरकार आज इस बिल राज्यसभा में पास हो गई.
इन पार्टियों ने किया समर्थन में वोट
वोटिंग के दौरान वाईएसआर, बीजेडी, एआईएडीएमके, आरपीआई, टीडीपी, असम गण परिषद, पट्टाली मक्कल काची, तमिल मनीला कांग्रेस, एनपीपी, एमएनएफ, यूपीपी (लिबरल) इस बिल के पक्ष में वोट दिए हैं और कांग्रेस, टीएमसी, आप, डीएमके, जेडीयू, शिवसेना विरोध में हैं. (उद्धव गुट), एनसीपी (शरद पवार), जेएमएम, सीपीआई, आईयूएमएल केरल कांग्रेस, आरएलडी, एमडीएमके इन सभी पार्टियों ने बिल के विरोध में वोट किया. हालांकि, इन सबके बावजूद यह बिल आज राज्यसभा से पास हो गया.
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राज्यसभा में गरजे अमित शाह
इस दौरान अमित शाह ने कहा कि बिल के एक भी प्रावधान से पहले जो व्यवस्था थी, जब इस देश में कांग्रेस की सरकार थी, उस व्यवस्था में किंचित मात्र भी परिवर्तन नहीं हो रहा है. उन्होंने कहा कि वह सबूत देंगे कि यह विधेयक किसी भी एंगल से सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लघंन नहीं करता है. यह विधेयक दिल्ली पर मौजूदा केंद्र सरकार के अध्यादेश को बदलने का प्रयास है. वही अमित शाह ने कहा कि यह बिल किसी पीएम को बचाने के लिए नहीं है.
उन्होनें आगे कहा कि कांग्रेस को लोकतंत्र पर बोलने का हक नहीं है. गृहमंत्री ने कहा कि आप की गोद में बैठी कांग्रेस यह बिल पहले लेकर आई थी. इस दौरान उन्होने खूब कांग्रेस को घेरा और इसके साथ ही कांग्रेस को इंमरजेंसी के दौर की घटनाओं का याद दिलाया. वही उन्होंने कहा कि इमरजेंसी के दौरान सभी अखबारों को सेंसर कर दिया गया था.
Source : News Nation Bureau