Supreme Court : कानूनी शब्दावली से जल्द ही कुछ ऐसे शब्द बाहर किए जाएंगे, जो लैंगिक भेदभाव या असमानता को दर्शाते हैं. इसमें छेड़छाड़, वैश्या और हाउसवाइफ जैसे शब्द आते हैं और ये शब्द बाहर हो सकते हैं. इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट ने एक हैंडबुक लॉन्च की है. कानूनी शब्दावली में यौन उत्पीड़न, गृहिणी और यौनकर्मी जैसे शब्दों के प्रयोग करने का सुझाव दिया गया है. अनुच्छेद 370 को निरस्त करने को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई करने के लिए सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली 5 जजों की पीठ एकत्रित हुए, इसी दौरान चंद्रचूड़ ने ये बुक लॉन्च की है.
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चीफ जस्टिस द्वारा लॉन्च की गई हैंडबुक में लैंगिक अन्यायपूर्व शब्दों की जगह वैकल्पिक शब्द और वाक्यांश के भी बताए गए हैं, जिन्हें बाद में हटाए गए शब्दों की जगह पर इस्तेमाल किए जाएंगे. SC ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि इस हैंडबुक को लॉन्च करने का लक्ष्य जजों और कानून समुदाय के मेंबरों को महिलाओं के बारे में रूढ़िवादिता को समझने, पहचानने और उसका मुकाबला करने को सशक्त बनाना है. इसके तहत कानूनी दस्तावेजों में प्रयोग के लिए वैकल्पिक वाक्यांश और शब्द भी बताए गए हैं.
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न्यायसंगत समाज की दिशा में हैंडबुक मील का पत्थर साबित होगी. इस हैंडबुक में 30 पन्ने हैं. महिलाओं की ओर से सामान्य रूढ़िवादिता की पहचान यह हैंडबुक करता है. साथ ही यौन हिंसा के साथ ही महत्वपूर्ण मुद्दों को भी हैंडबुक में समाहित किया गया है. आपको बता दें कि इससे पहले सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा था कि अनुचित सेक्सुअल शब्दों के लिए एक कानूनी शब्दावली जारी करने की योजना बनाई जा रही है, जिसे जल्द लॉन्च कर दी जाएगी.
Source : News Nation Bureau