समान नागरिक संहिता पर देश के सूफियों के अग्रणी संगठन, सूफ़ी खानकाह एसोसिएशन के द्वारा अधिकृत बयान जारी किया गया है. राष्ट्रीय कार्यालय कानपुर नगर से बयान जारी करते हुए राष्ट्रीय अध्यक्ष सूफी मोहम्मद कौसर हसन मजीदी एडवोकेट ने कहा कि भारत सरकार द्वारा समान नागरिक संहिता लागू करने के लिए विधेयक लाने की चर्चाएं देश में हो रही हैं. जिस पर भांति-भांति की बातें निकल कर सामने आ रही हैं. मुस्लिमों के रहनुमा माने जाने वाले कुछ सियासी तबियत के लोग जिनका सम्पूर्ण मुस्लिम समाज से कोई संबंध ही नहीं है के द्वारा विखंडन कारी बयान दिए जा रहे हैं. जिनका मुस्लिम समुदाय के लोगों को विरोध करना चाहिए.
उन्होंने कहा कि जैसा कि उन्होंने अध्ययन किया है. प्रस्तावित सामान नागरिक संहिता के अधिकतर बिंदुओं पर कोई मतभेद नहीं है बल्कि देश की आम मुस्लिम आबादी का अधिकांश भाग एक ही पत्नी वाला है, क्योंकि महंगाई के इस दौर में एक पत्नी का परिवार चलाना ही मुश्किल है, तो व्यक्ति दूसरी कैसे रख सकता है. उन्होंने कहा कि कई पत्नियों को रखे जाने के वही समर्थक हैं, जो शरीयत की आड़ लेकर अपनी शारीरिक स्वार्थ सिद्धि करते हैं. उन्होंने कहा कि जब कोई मुस्लिम सरकारी नौकरी में जाता है,तो शासकीय नियमों के अनुसार एक विवाह ही करता है. कोई मुस्लिम पासपोर्ट बनवाता है, तो उसे विवाह पंजीकरण प्रमाण पत्र देना पड़ता है, तथा 125 सीआरपीसी में आज की तारीख में, हजारों मुस्लिम महिलाएं अपने पतियों या पूर्व पतियों से गुजारा भत्ता ले रही है. तो सरकार यदि इसे कोडीफाइड कर रही है तो आपत्ति किस बात की.
उन्होंने कहा कि यूनिफार्म सिविल कोड के लागू होने पर अगर मुस्लिम समुदाय के द्वारा सकारात्मक संदेश दिया जाएगा तो बहुसंख्यक समुदाय के दिलों में मुसलमानों के साथ की भावना जागृत होगी. जिससे राष्ट्रीय एकीकरण मजबूत होगा. उन्होंने कहा कि यदि यूनिफार्म सिविल कोड लागू होने से हिंदू मुस्लिम एकता मजबूत होती है, तो यह एक बेहतरीन कदम होगा.साथ ही उन्होंने सरकार से भी आग्रह किया कि प्रस्तावित सामान नागरिक संहिता में मुस्लिम संपत्ति बटवारे और गोद लेने संबंधी विषयों पर गंभीरता पूर्वक विचार कर ही निर्णय करे, क्योंकि इन नियमों का शेष समाज पर कोई असर नहीं पड़ता, तथा संविधान की धार्मिक भावनाओं और आस्थाओं के अधिकार का भी हनन न हो.
इसके अलावा उन्होंने मुस्लिम समुदाय से भी अपील की कि समान नागरिक संहिता के विषय में किसी के बरगलाने और बहकाने में न आएं, सामान नागरिक संहिता किसी एक धर्म या संप्रदाय के लिए नहीं बल्कि संपूर्ण देशवासियों के लिए है.
Source : News Nation Bureau