26 जनवरी यानी की गणतंत्र दिवस (Republic Day). देश इस बार अपना 73वां गणतंत्र दिवस मनाएगा. इस बार का गणतंत्र दिवस कई तरह से अनोखा भी होने वाला है. हर साल 26 जनवरी को राजपथ पर कुछ न कुछ नया और बेहतरीन देखने को मिलता है. इस साल राजपथ पर आजादी के अमृत महोत्सव की छटा देखने को मिलेगी. वहीं आजादी के 75 साल पूरे होने पर 75 एयरक्रॉफ्ट का फॉर्मेशन देखने को मिलेगा, जिसमें सेना में शामिल हेलिकॉप्टर्स और एयरक्रॉफ्ट हिस्सा लेंगे. इस बार का गणतंत्र दिवस अनोखा इसलिए होगा क्योंकि अमृत महोत्सव के तहत राजपथ पर 1965 और 1971 के युद्ध में भारत की पाकिस्तान पर हुई जीत का जश्न देखने को भी मिलेगा. इसमें 1965 और 1971 की जीत में शामिल उन हथियारों को भी दिखाया जायेगा, जिन्हें इस्तेमाल कर भारतीय सैनिकों ने उस दौरान दुश्मन की सेना को हरा दिया था. चलिए आज आपको बताते हैं ऐसे ही कुछ हथियारों के बारें में जो इस बार राजपथ पर देखने को मिल सकते हैं.
यह भी पढ़ें- केंद्र ने गणतंत्र दिवस पर जेल कर्मियों के लिए सुधार सेवा पदकों की घोषणा की
OT-62 TOPAS
पोलिश पीपुल्स रिपब्लिक (पोलैंड) और चेकोस्लोवाकिया ने इस एंफीबियस कैटेगरी के आर्मर्ड पसर्नल कैरियर को बनाया था. एंफीबियस कैटेगरी का मतलब है कि यह जमीन और पानी दोनों जगह काम कर सकता है. 1971 की बसंतर की लड़ाई में इसकी भूमिका एहम रही है. नाइट विजन से लैस इस 15 टन वजनी इस वाहन की लंबाई 7.1 मीटर थी और भारतीय सैनिकों को एक जगह से दूसरी जगह पर जाने में इसने काफी मदद की थी. इसमें दो ड्राइवर, एक कमांडर और 16 अन्य लोग बैठ सकते थे और पानी में इसकी रेंज 150 किमी तक थी.
PT-76-
PT-76 फ्लोटिंग टैक के नाम से मशहूर है. यह उन चुनिंदा टैंकों में से है, जिसने 1965 और 71 की जंग में हिस्सा लिया था. लाइट टैंक की श्रेणी में आने वाले इस 39 टन के वजनी टैंक की लंबाई 7.63 मीटर थी और इसमें चालकदल के तीन लोग बैठ सकते थे. यह टैंक जमीन पर 44 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चल सकता था. पीटी-76 ने गरीबपुर, बोयरा, हिल्ली और रंगपुर की लड़ाई में कई चाफी टैंकों का खात्मा किया है.
T-55 टैंक-
36 हजार किलो के वजन वाले टी-55 टैंक की लंबाई 9 मीटर थी. इसमें चार लोग बैठ सकते थे. 1971 की जंग में भारत ने अपने दोनों मोर्चों पूर्वी और पश्चिम में इस टैंक जमकर इस्तेमाल किया. पूर्वी मोर्चे पर 10-11 दिसंबर को नैनाकोट की लड़ाई में टी-55 टैंकों ने बिना किसी नुकसान के 9 पाकिस्तानी टैंकों को नष्ट किया था.
विजयंता-
यह 1971 की लड़ाई में मुख्य युद्धक टैंक था, जो भारत में ही बनता था. सही मायनों में विजयंत भारत का पहला स्वदेशी टैंक था. 1963 में ही इसका प्रोटोटाइप पूरा हुआ था और 21 दिसंबर 1963 को इस टैंक ने भारतीय सेना में प्रवेश किया. यह टैंक शत्रु पर कहर बन कर टूटा था. 39 वजन वाले विजयंता की लंबाई 9.788 मीटर थी और इसमें चार कर्मी बैठ सकते थे. इस टैंक ने पाकिस्तानी टैंकों का खात्मा किया और पूर्वी पाकिस्तान (बांग्लादेश) में पाकिस्तान सेना को आत्मसमर्पण करने के लिए मजबूर भी किया था. साल 2000 में इस टैंक को सेना से सेवानिवृत्त कर दिया गया था. पाकिस्तान के छक्के छुड़ाने वाला विजयंता टैंक देश की शान है.
यह भी पढ़ें- गणतंत्र दिवस से पहले एयर फोर्स ने शेयर किया VIDEO, दिखाई भारत की ताकत.
Source : News Nation Bureau