'ट्रेजडी किंग' दिलीप कुमार की ये थी एक ख्वाहिश, जो जीते जी रह गई अधूरी

जाने-माने अभिनेता दिलीप कुमार (Dilip Kumar) का लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया है. हिंदी फिल्म जगत में ट्रेजडी किंग (Tragedy King) के नाम से मशहूर हुए दिलीप कुमार ने 98 साल की उम्र में आखिरी सांस ली.

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Dalchand Kumar
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Actor Dilip Kumar

'ट्रेजडी किंग' दिलीप कुमार की ये ख्वाहिश जीते जी रह गई अधूरी( Photo Credit : फाइल फोटो)

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जाने-माने अभिनेता दिलीप कुमार का लंबी बीमारी के बाद बुधवार सुबह निधन हो गया. हिंदी फिल्म जगत में ट्रेजेडी किंग के नाम से मशहूर हुए दिलीप कुमार ने बुधवार को मुंबई के पीडी हिंदुजा अस्पताल में अंतिम सांस ली. 98 वर्षीय अभिनेता दिलीप कुमार को विभिन्न आयु संबंधी स्वास्थ्य समस्याओं के लिए हिंदुजा अस्पताल 30 जून को पीडी में भर्ती कराया गया था. उनकी पत्नी सायरा बानो खान ने पहले उनकी चिकित्सा स्थिति में सुधार के बारे में ट्वीट किया था. लेकिन वह आशा की एक अल्पकालिक किरण थी और बुधवार को तड़के उनका निधन हो गया. इसी के साथ दिलीप कुमार की एक ख्वाहिश थी, जो उनके जीते जी अधूरी रह गई. दिलीप कुमार की अधूरी ख्वाहिश में उनकी पुश्तैनी हवेली थी, जो पाकिस्तान के पेशावर में है.

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सब कुछ हासिल होने के बाद भी दिलीप कुमार की एक ख्वाहिश अधूरी रह गई. दिलीप कुमार पेशावर स्थिति अपनी पुश्तैनी हवेली को म्यूजियम बनते देखना चाहते थे, मगर यह पूरा मामला पाकिस्तान सरकार और मौजूदा मालिकों के बीच उलझा रह गया. हालांकि अब पाकिस्तान की सरकार 80 लाख रुपये कीमत तय करके इस हवेली को खरीद चुकी है. कुछ दिन पहले ही खबर आई थी खैबर पख्तूनख्वा प्रांत की सरकार ने दिलीप कुमार के पेशावर में पैतृक घर को खरीदने की मंजूरी दी है, जिन्हें म्यूजियम बनाया जाएगा. पेशावर के जिला आयुक्त कैप्टन खालिद महमूद ने एक्टर के घर के वर्तमान मालिकों की आपत्तियों को खारिज करते हुए घर को पुरातत्व विभाग को सौंपने का आदेश दिया था. खैर अब दिलीप कुमार के जीते जी उनकी ये ख्वाहिश पूरी नहीं हो सकी.

ज्ञात हो कि दिलीप कुमार का जन्म पाकिस्तान के पेशावर शहर में हुआ था. विभाजन के बाद दिलीप कुमार का परिवार पाकिस्तान से मुंबई आ गया था. मगर पेशावर में बिताए अपने बचपन और उस घर को दिलीप कुमार हमेशा याद करते थे. कुछ समय पहले उन्होंने सोशल मीडिया पर अपने पुश्तैनी घर की तस्वीरें देखने की गुजारिश की थी. उनकी गुजारिश में घर से दूर होने का दर्द और यादें छिपी थीं, जो उनके दिल को हमेशा पेशावर के उस घर के करीब ले जाती थीं. पेशावर शहर के किस्सा ख्वानी बाजार में स्थित घर में मुगल-ए आजम के अभिनेता ने बंटवारे से पहले जीवन के शुरुआती दिन बिताए थे.

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पाकिस्तान छोड़कर भारत में बसने के बाद दिलीप कुमार की जिंदगी में बहुत से उतार चढ़ाव आए. उनको मुश्किल हालातों का सामना भी करना पड़ा था. वह तंगहाली और संघर्ष भरे जीवन से गुजर कर आगे आए थे. भारत में फिल्मी जगत ने उनको बड़ी पहचान दिलाई. दिलीप कुमार हिंदी सिनेमा जगत के बेहतरीन अभिनेताओं में शुमार थे. वह बॉलीवुड के पहले सुपरस्टार थे. बहु-पुरस्कार विजेता अभिनेता का करियर पांच दशकों से अधिक समय तक चला और हिंदी सिनेमा के स्वर्ण युग के दौरान, दिलीप कुमार ने 65 से अधिक फिल्मों में अपने अभिनय से लाखों दिलों को मंत्रमुग्ध किया. उन्हें बॉलीवुड के पहले खान के रूप में भी जाना जाता था.

फिल्मी दुनिया में बहुत कम ही ऐसे लोग आए हैं, जिन्हें सदियों तक लोगों के दिलों पर राज किया हो. दिलीप कुमार भी इन्हीं में से एक थे, जो न सिर्फ फिल्मी पर्दे पर, बल्कि असल जिंदगी में भी लोगों के हीरो बने. दिलीप कुमार के नाम सबसे ज्यादा फिल्मफेयर अवॉर्ड जीतने का रिकॉर्ड है. उन्होंने आठ बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का फिल्मफेयर पुरस्कार जीता. अपने पांच दशक लंबे करियर में उन्होंने हिंदी सिनेमा में अलग-अलग तरीकों से योगदान दिया, जिसमें अभिनय तकनीक की शुरुआत भी शामिल है. पेशावर ( अब पाकिस्तान) में मुहम्मद यूसुफ खान के रूप में जन्मे उन्होंने अपने अभिनय करियर की शुरुआत स्क्रीन नाम दिलीप कुमार से की.

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