चक्रवात गुलाब का कहर महाराष्ट्र में अभी भी जारी है. महाराष्ट्र के कई क्षेत्रों में भारी बारिश जारी है. मौसम विभाग ने कहा है कि इस बात की अधिक संभावना है कि चक्रवात 'गुलाब' पश्चिम-उत्तर-पश्चिम दिशा की ओर बढेगा. जबकि चक्रवाती तूफान गुलाब के बाद अब चक्रवात शाहीन का खतरा मंडरा रहा है. इस बीच मौसम विभाग ने शाहीन तूफान को लेकर महाराष्ट्र व गुजरात में अलर्ट जारी किया है और मछुआरों के 3 अक्टूबर तक समुद्र से दूर रहने की सलाह दी है. जो पहले से ही समुद्र में हैं, उन्हें सुरक्षित क्षेत्रों में जाने की सलाह दी गई है. अगले तीन दिनों के दौरान महाराष्ट्र और गुजरात के तटों पर समुद्र की स्थिति बहुत खराब रहेगी और इन तटों पर 45-55 किमी/घंटा से लेकर 65 किमी/घंटा के बीच हवा की गति का अनुमान है.
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भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के वैज्ञानिक आरके जेनामणि ने कहा है कि चक्रवाती तूफान गुलाब के कारण बना निम्न दबाव का क्षेत्र अब गुजरात तट, पूर्वोत्तर अरब सागर में है और 30 सितंबर तक एक डिप्रेशन में बदल जाएगा. 1 अक्टूबर यानी शुक्रवार से यह 'शाहीन' नाम का एक नया चक्रवात बन जाएगा. गुरुवार को चक्रवात गुलाब के बाकी हिस्से का अरब सागर में प्रवेश करने तथा मजबूत होकर चक्रवाती तूफान का रूप लेने तथा पाकिस्तान की ओर बढ़ने की संभावना है. मौसम विभाग ने कहा, ''इस बात की बड़ी संभावना है कि गुलाब चक्रवात पश्चिम-उत्तर-पश्चिम दिशा की ओर बढ़ेगा एवं उत्तरपूर्व अरब सागर में उभरकर गुरुवार तक गहरे दबाव में तब्दील होकर मजबूत हो जाएगा. उसके बाद उसके पश्चिम और पश्चिम-उत्तरपश्चिम की ओर बढ़ने एवं अगले 24 घंटे में चक्रवाती तूफान का रूप लेने की प्रबल संभावना है. उसके बाद वह भारतीय तट से दूर पाकिस्तान के मकरान तटों से टकरा सकता है.
The low-pressure area created due to Cyclone Storm Gulab is now in the Gujarat coast, Northeast Arabian sea and will intensify into a Depression by Sept 30. From Oct 1, it will become a new cyclone named 'Shaheen': RK Jenamani, senior scientist, IMD pic.twitter.com/JynGdRi5i1
— ANI (@ANI) September 29, 2021
इन क्षेत्रों में भारी बारिश की संभावना
मौसम विभाग के अनुसार, शाहीन चक्रवाती तूफान महाराष्ट्र और गुजरात के समुद्री तटों से दूर ही रह सकता है और 1 अक्टूबर तक ओमान की ओर बढ़ जाएगा, लेकिन संभावना है कि शाहीन तूफान के कारण महाराष्ट्र और गुजरात के समुद्री इलाके में भारी बारिश होगी. मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार अगले दो से तीन दिनों तक गुजरात, मध्य महाराष्ट्र, कोंकण, मराठवाड़ा, सौराष्ट्र और कच्छ आदि में भारी बारिश होने की संभावना जताई गई है. साथ ही झारखंड, गंगीय पश्चिम बंगाल, ओडिशा और तमिलनाडु, पुडुचेरी और कराईकल में अलग-अलग स्थानों पर भारी वर्षा हो सकती है.
अकसर नहीं होता एक साथ दो चक्रवात का मामला
देश के पूर्वी तट पर दस्तक देने वाले चक्रवात गुलाब के असर से मध्य महाराष्ट्र में भारी बारिश को देखते हुए आईएमडी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि मौसम प्रणाली एक और चक्रवाती तूफान शाहीन को जन्म दे सकती है. भारत मौसम विज्ञान विभाग के क्षेत्रीय मौसम केंद्र के प्रमुख डॉ. जयंत सरकार ने कहा कि इस तरह की घटनाएं अकसर नहीं होतीं, ''हालांकि मौसम विज्ञानियों को इसकी जानकारी होती है.
गुजरात में बारिश के आसार
मौसम विभाग ने बताया कि गुजरात में सौराष्ट्र और कच्छ में कुछ स्थानों पर हल्की, मध्यम से लेकर भारी तथा छिटपुट स्थानों पर भीषण वर्षा हो सकती है. साथ ही गुजरात के अन्य क्षेत्र, दमन दीव, दादर एवं नागर हवेली में मूसलाधार एवं कुछ स्थानों पर भीषण बारिश होने के आसार हैं. उत्तरी कोंकण में छिटपुट स्थानों पर भीषण वर्षा होने की आशंका है.
गुजरात में कुछ स्थानों पर 24 घंटे की बारिश दर्ज
गुजरात में कुछ स्थानों पर 24 घंटे की बारिश दर्ज की गई, जैसे उमेरपाड़ा (सूरत)- 218 मिमी, वलसाड- 160 मिमी, धोलेरा (अहमदाबाद) - 152 मिमी, वडोदरा - 102 मिमी, सूरत शहर - 101 मिमी, भावनगर - 77 मिमी, वापी ( वलसाड) - 67 मिमी और राजकोट - 54 मिमी.
कतर ने रखा है 'शाहीन' नाम
'शाहीन' नाम कतर द्वारा दिया गया था, यह हिंद महासागर में एक उष्णकटिबंधीय चक्रवात का नामकरण करने के लिए सदस्य देशों में से एक है.
चक्रवातों के नाम कैसे रखे जाते हैं?
2000 में मस्कट में सत्ताईसवें सत्र में उष्णकटिबंधीय चक्रवातों पर WMO/ESCAP पैनल ने सैद्धांतिक रूप से बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में उष्णकटिबंधीय चक्रवातों के नाम पर सहमति व्यक्त की। उत्तर हिंद महासागर के ऊपर उष्णकटिबंधीय चक्रवातों का नामकरण सितंबर 2004 में सदस्य देशों के बीच व्यापक परामर्श के बाद शुरू हुआ। चक्रवातों के नाम 13 देशों द्वारा चुने जाते हैं: भारत, बांग्लादेश, म्यांमार, पाकिस्तान, मालदीव, ओमान, श्रीलंका, थाईलैंड, ईरान, कतर, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और यमन। मानदंडों के अनुसार, नामों को चुना जाता है ताकि उन्हें याद रखना आसान हो और उनका कोई भड़काऊ अर्थ न हो, नाम वैचारिक, धार्मिक, सांस्कृतिक और लिंग-तटस्थ होना चाहिए. इसके अलावा, यह संक्षिप्त और याद रखने में आसान होने के साथ-साथ उच्चारण में भी सरल होना चाहिए.
HIGHLIGHTS
- मछुआरों को समुद्र तट से दूर रहने की सलाह
- अगले तीन दिन महाराष्ट्र-गुजरात तटों पर स्थिति खराब रहेगी
- इन दोनों राज्यों में भारी बारिश की संभावना