Three Criminal Laws: एक जुलाई से तीनों नए आपराधिक कानून लागू होंगे. इसके बाद आईपीसी की जगह भारतीय न्याय संहिता, सीआरपीसी की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और इंडियन एविडेंस एक्ट की जगह भारतीय साक्ष्य संहिता ले लेंगे. तीनों नए कानूनोंं को लागू करने का मकसद साफ है कि अंग्रेजों के जमाने से चले आ रहे नियमों-कायदों को हटाना और उनकी जगह नए कानूनों को लागू करना है. तीनों नए कानूनों के लागू होने के बाद क्रिमिनल लॉ सिस्टम में बदलाव आ जाएगा. अब देशभर में कहीं भी एफआईआर दर्ज हो सकती है. अब पुलिस कुछ मामलों में आरोपी को हथकड़ी लगाकर भी गिरफ्तार कर सकती है.
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जीरो एफआईआर में अब धाराएं भी जोड़ी जाएंगी
नए कानून लागू होने के बाद से एफआईआर देश भर में कहीं भी दर्ज हो सकती है. इसमें धाराएं भी जुड़ सकती हैं. अब तक जीरो एफआईआर में धाराएं नहीं जुड़ती थी. जीरो एफआईआर 15 दिन के अंदर एफआईआर संबंधित थाने को भेजनी होगी. कानून के चलते पुलिस की जवाबदेही भी बढ़ गई है. राज्य सरकार को अब हर पुलिस थाने में ऐसे पुलिस अफसर नियुक्त करने होंगे, जिनके ऊपर हर व्यक्ति के गिरफ्तारी की जिम्मेदारी होगी. पुलिस को अब 90 दिन के भीतर पीड़ित को प्रोग्रेस रिपोर्ट देनी होगी. 90 दिन में पुलिस को चार्जशीट दाखिल करनी होगी. 180 दिन यानी छह महीने में जांच पूरी करके ट्रायल शुरू करना होगा. अदालत को भी 60 दिन के भीतर आरोप तय करने होंगे. 30 दिन के अंदर सुनवाई पूरी करके फैसला सुनाना होगा. फैसला सुनाने और सजा का ऐलान 7 दिन में करना होगा.
गिरफ्तारी के यह हैं नियम?
गिरफ्तारी के नियमों में अधिक बदलाव नहीं हुआ है. भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 35 में एक नया सब सेक्शन 7 जोड़ा गया है. इसमें छोटे-मोटे आरोपियों और बुजुर्गों की गिरफ्तारी को लेकर नियम बनाए गए हैं. इसमें तीन साल और इससे कम सजा की प्रावधान है. मामले में गिरफ्तारी के लिए डीएसपी और इससे ऊपर के अधिकारियों की अनुमति आवश्यक है.
हथकड़ी लगाने को लेकर बदले नियम
1980 में सुप्रीम कोर्ट ने हथकड़ी के इस्तेमाल को असंवैधानिक करार दिया था. कोर्ट ने उस वक्त कहा था कि अगर किसी व्यक्ति को हथकड़ी लगाई जाती है तो उसका कारण बताना होगा और इसके लिए मजिस्ट्रेट की अनुमति आवश्यक है. हालांकि, अब नए कानून के तहत धारा 43 (3) के तहत गिरफ्तारी या अदालत में पेश करते समय कैदी को हथकड़ी लगाई जा सकती है.
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भगोड़े आरोपियों पर भी चलेगा मुकदमा
नए कानून के तहत फरार अपराधियों पर भी मुकदमा चल सकता है, इससे पहले सिर्फ आरोपी के अदालत में मौजूद होने पर ट्रायल शुरू हो पाता था. आरोप तय होने के 90 दिन बाद भी अगर आरोपी कोर्ट में पेश नहीं हुआ तो ट्रायल शुरू हो जाएगा क्योंकि कोर्ट मान लेगी की आरोपी ने निष्पक्ष सुनवाई के अधिकार छोड़ दिए हैं.
दया याचिका के नियम बदले
दया के लिए आरोपी सभी कानूनी रास्ते खत्म होने के बाद कभी भी याचिका दायर की जा सकती है. पर अब 30 दिन के भीतर दया याचिका राष्ट्रपति के समक्ष दायर करनी होगी. राष्ट्रपति का फैसला, 48 घंटे के भीतर केंद्र सरकार को राज्य, गृह विभाग और जेल सुपरिटेंडेंट को देनी होगी.
Source : News Nation Bureau