गलवान में भारत और चीन के बीच जो झड़प हुई है, उसके बाद यह गलवान घाटी चर्चा में आ गई है. जहां एक ओर चीन का दावा है कि गलवान घाटी उसकी है, वहीं जब इस बात को तिब्बत ने सुना हो वहां के प्रधानमंत्री लोबसंग सांगेय ने इस दावे को तत्काल खारिज कर दिया और भारत को यह भी बता दिया कि वह चीन पर किस तरह से हमलावर हो सकता है. तिब्बत के प्रधानमंत्री लोबसंग सांगेय ने साफ तौर पर कहा है कि गलवान चीनी का हिस्सा नहीं है, बल्कि भारत के लद्दाख क्षेत्र का हिस्सा है.
जब से भारत और चीन का विवाद शुरू हुआ है तब से चीन के भी कई पड़ोसी देश भारत के साथ खड़े हुए नजर आ रहे हैं. चीन की सीमा 14 देशों से लगी है, ऐसे माहौल में कई देश भारत के साथ खड़े हुए दिख रहे हैं. तिब्बत के प्रधानमंत्री लोबसंग सांगेय ने कहा कि अहिंसा भारत की परम्परा रही है और भारत हमेशा से इसका पालन करता रहा है. वहीं दूसरी ओर चीन अहिंसा की बातें तो करता है, लेकिन उसका पालन कभी भी करता हुआ नहीं दिखता. प्रधानमंत्री लोबसंग सांगेय ने कहा कि चीन की सरकार का दावा पूरी तरह से गलत है, गलवान नाम लद्दाख का ही दिया हुआ है, यह सारी बातें जानने के बाद इस तरह के झूठे दावों का कोई मतलब नहीं रह जाता. इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि जब तक तिब्बत का मामला हल नहीं हो जाता, तब तक क्षेत्र में तनाव बना ही रहेगा.
लोबसंग सांगेय ने यह भी कहा कि तिब्बत को जोन ऑफ पीस बनाना होगा. दोनों सीमाएं आर्मी फ्री होनी चाहिए. तभी शांति हो सकेगी. इतना ही नहीं तिब्बत के प्रधानमंत्री ने चीन की मंशा पर भी सवाल खड़े कर दिए. उन्होंने कहा कि चीन एशिया में नंबर वन बनना चाहता है. यहां उसका सीधा मुकाबला भारत के अलावा इंडोनेशिया और जापान से है.
आपको बता दें कि चीन ने पहले डोकलाम में नापाक हरकत की थी, उकसे बाद अब लद्दाख में अपनी गतिविधियां बढ़ा दी हैं. हालांकि पिछले दिनों जो कुछ भी हुआ, उसके बाद भारत भी सीमा पर अपनी गतिविधियां बढ़ा रहा है. साथ ही भारत की पूरी तैयारी चीन को सबक सिखाने की है. वहीं खास बात यह भी है कि गलवान में हिंसा के बाद चीन दुनिया के कई देशों के निशाने पर है. हालांकि इस बीच दोनों देशों के बीच उच्चस्तरीय बातचीत भी चल रही है. हालांकि इसका समाधान क्या निकलेगा, यह देखना होगा.
Source : News Nation Bureau