विवादित इस्लामिक उपदेशक जाकिर नाइक पर शिकंजा अब और भी कस गया है. मलेशिया सरकार ने भी सख्त कदम उठाते हुए साफ किया है कि जाकिर देश में कहीं भी तकरीर नहीं कर सकता. स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार मलेशिया के हिन्दू नागरिकों के खिलाफ टिप्पणी करने पर उससे 10 घंटे तक पुलिस ने पूछताछ की. इसके बाद यह फैसला लिया गया. इस्लामिक धर्म उपदेशक जाकिर नाइक के विवादित उपदेशों पर पाबंदी लगाने वाला मेलाका मलेशिया का सातवां राज्य बन गया है. इससे पहले भी कई देश उस पर पाबंदी लगा चुके हैं.
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मलेशिया पुलिस ने बताया कि जाकिर नाइक पर राष्ट्रीय सुरक्षा के हित में प्रतिबंध लगा है. दातुक असमावती अहमद, द कॉरपोरेट कम्युनिकेशंस के प्रमुख, द रॉयल मलेशिया पुलिस ने मलय मेल को इसकी जानकारी दी. नाइक पर मलेशियाई राज्यों जाहिर, सेलांगोर, पेनांग, केदाह और सारावाक से पहले ही प्रतिबंध लगाया जा चुका है. नाइक पर आरोप है कि उन्होंने तीन अगस्त को कोटा बारू में एक तकरीर के दौरान मलेशियाई हिंदुओं और मलेशियाई चीनियों के खिलाफ विवादित टिप्पणी की. मलेशिया से उनके निर्वासन के आह्वान का जवाब देते हुए मलेशियाई चीनी ने कहा कि पहले उन्हें देश छोड़ देना चाहिए, क्योंकि वे 'पुराने मेहमान' हैं.'
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केदाह, पेनांग और जोहोर राज्य ने सबसे पहले जाकिर के धार्मिक उपदेशों पर पाबंदी लगाई थी. मलेशियाई प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद ने 16 अगस्त को कहा था कि सरकार यदि जांच में जाकिर के उपदेशों में देश में धार्मिक नफरत जैसा कुछ पाया गया तो उनके स्थायी निवासी दर्जे को भी समाप्त कर दिया जाएगा. जाकिर नाइक को भारत सरकार ने आपराधिक भगोड़ा घोषित कर दिया था, जिसके बाद वह मलेशिया में शरण लिए हुए है. उस पर काले धन को वैध बनाने का आरोप है. पिछले वर्ष भारत के अनुरोध के बावजूद मलेशिया के अधिकारियों ने जाकिर के प्रत्यर्पण से इन्कार कर दिया था.
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार जाकिर ने कहा कि मलेशिया में जातीय हिंदुओं को भारत में मुसलमानों की तुलना में '100 गुना अधिक अधिकार' मिले हुए हैं. उन्होंने कहा था कि वह मलेशियाई सरकार से ज्यादा भारत सरकार में विश्वास करते हैं. जाकिर नाइक ने अमेरिका में 9/11 को हुए आतंकी हमलों को 'अमेरिकी सरकार की साजिश' करार दिया था. वह तीन साल पहले भारत से भागकर मुस्लिम बहुल मलेशिया चले गए, जहां उन्हें स्थायी निवासी बना दिया गया.
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जाकिर के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग और आतंक के मामले में एनआईए जांच कर रही है. नाईक ने जुलाई 2016 में तब भारत छोड़ा था जब बांग्लादेश में मौजूद आतंकियों ने दावा किया था कि वे जाकिर के भाषणों से प्रेरित हो रहे हैं. इससे पहले पिछले साल जुलाई में मलेशिया के प्रधानमंत्री महाथिर मोहम्मद ने भी कहा था कि वह भारत के विवादित मुस्लिम उपदेशक जाकिर नाईक को आसानी से महज इसीलिए नहीं प्रत्यर्पित कर देंगे क्योंकि भारत ऐसा चाहता है. उन्होंने कहा था कि उनकी सरकार हमेशा सुनिश्चित करेगी कि वह इस तरह की किसी मांग पर प्रतिक्रिया देने से पहले सभी कारकों पर विचार करें, 'अन्यथा कोई पीड़ित बन जाएगा.'
Source : न्यूज स्टेट ब्यूरो