कृषि कानून के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का विरोध प्रदर्शन जारी है ऐसे में आंदोलन को तेज और देशभर में फैलाने के लिए विभिन्न हिस्सों में महापंचायतें हो रही हैं, जिसमें राकेश टिकैत शामिल हो रहे हैं. हालांकि गाजीपुर बॉर्डर पर उनकी गैर मौजूदगी में किसानों में उत्साह कम दिखाई देने लगा है. हालांकि भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने इस पर मीडिया से बातचीत में कहा कि, ये आंदोलन जन मुक्ति आंदोलन है, लोग बंधक हैं उनको रिहा कराना है, इसी वजह से महापंचायत की जा रही है.
क्या राकेश टिकैत लोकप्रियता की वजह से अपनी एक अलग दुनिया बना रहे हैं? इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि, मेरी कोई दुनिया नहीं, मैं तो वही किसान हूं और इस आंदोलन के नेता भी किसान हैं. इस पूरे सिस्टम को किसान चला रहा है. यहां किसानों में कोई नेता बनने की कोशिश करेगा तो इसका इलाज भी करेंगे. आंदोलन को 80 दिन हों चुके हैं, धीरे धीरे किसान नेताओं पर भी शिकंजा कसने लगा है, यही कारण है कि उनकी सम्पतियों पर सवाल उठने लगे हैं. इस पर टिकैत ने कहा कि, मुझे नहीं पता कितने की प्रॉपर्टी बताई गई है, मेरे पास तो कुछ नहीं है.
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किसान आंदोलन पर ये है रणनीति
आंदोलन पर आगे की रणनीति क्या है? सरकार के साथ बातचीत पर क्या हुआ ? इस पर टिकैत ने कहा कि, सरकार बताए कि कहां आना है? किधर बात करनी है उसका टाइम, स्थान ये तो सरकार बताएगी. उनके पास संदेश जा रहा है उनको हमारे मुद्दों पर सहमति होगी तो बुला लेंगे. किसान संगठनों के नेताओं के अनुसार इस आंदोलन के दौरान अब तक 228 किसान शहीद हो चुके हैं. वहीं दूसरी ओर 14 फरवरी को, पुलवामा हमले के शहीदों को याद करते हुए, पूरे भारत के गांवों और कस्बों में मशाल जूलूस और कैंडल मार्च का आयोजन किया जाएगा.
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आंदोलन में शहीद किसान को देंगे श्रद्धांजलि
आंदोलन में शहीद किसानों को श्रद्धांजलि भी दी जाएगी. जय जवान, जय किसान के आंदोलन के आदर्श को दोहराया जाएगा. दरअसल तीन नए अधिनियमित खेत कानूनों के खिलाफ किसान पिछले साल 26 नवंबर से राष्ट्रीय राजधानी की विभिन्न सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. किसान उत्पाद व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अधिनियम, 2020, मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा अधिनियम 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम, 2020 किसान सशक्तिकरण और संरक्षण समझौता हेतु सरकार का विरोध कर रहे हैं.
Source : News Nation Bureau