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तीस हजारी का 'ऑडियो-जिन्न' : लुटी पिस्टल, पिटीं डीसीपी, फिर भी एफआईआर क्यों नहीं?

दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई के बाद हुए आदेश को सुनते ही उत्तरी दिल्ली जिले की डीसीपी मोनिका भारद्वाज आखिर बच्चे की मानिंद फफक-फफक कर क्यों रो पड़ी थीं?

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Ravindra Singh
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DCP Monika Bhardwaj

डीसीपी मोनिका भारद्वाज( Photo Credit : फाइल)

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तीस हजारी कोर्ट में शनिवार को पुलिस और वकीलों के बीच हुए खूनी संघर्ष में रोजाना नई-नई बातें निकल कर सामने आ रही हैं. सोमवार को एक सनसनीखेज ऑडियो-टेप रूपी जिन्न सामने आ गया. हालांकि इस ऑडियो टेप को लेकर दिल्ली पुलिस ने चुप्पी साध रखी है, मगर कहा जा रहा है कि ऑडियो टेप में हादसे की आपबीती बयान करते-करते बिलख पड़ने वाला उत्तरी दिल्ली जिले की डीसीपी (उपायुक्त) मोनिका भारद्वाज का निजी सुरक्षा गार्ड (ऑपरेटर) है.

इस ऑडियो टेप की सत्यता आईएएनएस सत्यापित नहीं करता है, मगर जिस तरह से ऑडियो टेप में दो लोगों के बीच हुई बातचीत दर्ज है, उसे सुनकर कोई भी सिहर उठता है. वायरल ऑडियो टेप को सुनने से लग रहा है कि उसमें अपनी बेबाक पीड़ा बयान करने वाला पुलिसकर्मी वकीलों से बदन पर मिले जख्मों से कहीं ज्यादा दिल्ली पुलिस के ही अपने आला अफसरों से आहत है.

ऑडियो टेप के कुछ अंश इस प्रकार है :

'ज्यादा चोट लग गई क्या तेरे को भी,

हां, कंधा टूटा हुआ है और

अमित से बात हुई उसने बताया हाथ पर चोट आ गई उसके हाथ टूट रहे

कंधा है..रिस्ट है.और अंगूठा है सिर में तीन टांके आए हैं.'

मैडम से मतलब उत्तरी दिल्ली जिले की डीसीपी मोनिका भारद्वाज हैं. ऑडियो टेप की बातचीत में आगे सुनाई पड़ रहा है..

'मैडम के भी लगी है चोट?

चोट नहीं लगी है लेकिन धक्का-मुक्की तो हुई है उनके साथ भी. बदतमीजी की है यार उन्होंने कंधा वंधा पकड़ा है खींचा है कॉलर पकड़ा है

मैडम का..

हां..

अच्छा

भाई वो तीन चार सौ थे और हम पांच थे..मैडम थीं मैं था..

नहीं..मैडम के जो कंधे वंधे खींचे वो जेंट्स वकील थे लेडीज

जेंट्स थे भाई एक भी लेडी नहीं थी..

गाली गलौच भी कर रहे थे..

खूब गंदी-गंदी भाई मेरे पास इस बात की तो वीडियो भी पड़ी है..मैडम को कह रहे थे..मैडम को कह रहे थे..(गाली..) तेरा तो आज हम बनाएंगे खूब..

अच्छा

अरे खूब यार'

ऑडियो टेप में दिल्ली पुलिस के कर्मचारी लग रहे दोनों आगे बात करते हैं तो इस बात का राजफाश होता है कि आखिर रविवार को दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई के बाद हुए आदेश को सुनते ही उत्तरी दिल्ली जिले की डीसीपी मोनिका भारद्वाज आखिर बच्चे की मानिंद फफक-फफक कर क्यों रो पड़ी थीं?

'पर मैंने तो देख लिया है कल संडे के दिन हाईकोर्ट खुलता है और अपने अपने वकीलों को सुनता है..सीपी को पुलिस को पूरी गंदी तरह लताड़ा है. मैडम कोर्ट के बाहर आकर रोई हैं. इतनी बुरी तरह से सीपी को धमकाया है..

अच्छा

मैडम रोई है कोर्ट से बाहर आकर..इसी बात से अंदाजा लगा लो कि जब वो रोई है तो क्यों रोई है कुछ तो बात हुई है..

वो नई नई डीसीपी है अभी डीसीपी..डिस्ट्रिक्ट के अंदर..उसे पता नहीं है..

मैडम को पता सब है..हरेंद्र भी गया स्पेशल सीपी संजय भी गया और मैडम भी गई..तीनों जाएंगे यह..'

हमले में बुरी तरह जख्मी इस पुलिकर्मी का शारीरिक से ज्यादा मानसिक दर्द भी ऑडियो टेप में उभर कर सामने आता है नीचे की लाइनें सुनने से. इतना ही नहीं ऑडियो में दोनों पुलिसकर्मियों के बीच हो रही बातचीत में ही खुलासा होता है कि घटना वाले दिन एक पुलिसकर्मी की सरकारी पिस्टल भी लुट गई.

'भाई पिस्टल भी छीन लिया अमित का तो..

हां हां पिस्टल भी गया..जिसके हाथ आई होगी वो देगा थोड़े ही अब

क्यों देगा वो, देते ही चोर नहीं बन जाएगा वो, मुकदमा नहीं दर्ज होगा उसपे और दूसरा मेरी पिस्टल मेरी भी पिस्टल छीनने की कोशिश की थी. कुछ तो मैं मैडम को बचाने के चक्कर में पिटा हूं तो कुछ पिस्टल बचाने के चक्कर में..जो पिस्टल की वो नहीं होती है न ट्रिगर की जो वो गोल होता है उसमें उंगली फंसाकर पेट से चिपका ली..मैंने कहा पिस्टल नहीं छुटेगी हाथ से..मैं बंदा गिर गया, मेरी कमर पे..जूतों के निशान हैं कमर पे..बेल्टों के निशान हैं लोहे की चेन मार रखी है कमर में मेरे..जो लॉकअप में नहीं डालते हैं लोहे की चेन वो मेरे कमर में मार रखी है..मेरे सिर में लोहे का डंडा मारा था चाबी मारी थी..और पता है भाई जो बंदा स्कूल में मेरा कॉलेजमेट रहा है न सबसे पहले डंडा उस..(गंदी गाली) ने मारा है..ओ..'

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वायरल टेप में एक जगह पर सुनाई पड़ता है कि भुक्तभोगी पुलिसकर्मी अपनी चोटों से ज्यादा किस कदर अपनों की बेरुखी से खफा है. मुसीबत में चारों ओर से घिरी दिल्ली पुलिस भले ही वायरल टेप को लेकर फिलहाल कुछ न बोले मगर टेप अगर सत्य है तो फिर यह सत्य बेहद कड़वा है..टेप में मौजूद आखिरी की चंद लाइनें तो यही बयान करती हैं.

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'सच बताऊं न मेरा न नौकरी से बिलकुल मन उठ गया है..(रोते हुए)..क्योंकि इतनी बुरी तरह से यार एक इंसान के 10 मिनट बेहोश रहने के बाद भी उन लोगों ने बेहोश के ऊपर भी लात मारीं..मेरे मुंह पे..पड़े रहने के बाद भी..और डिपार्टमेंट ने ..आप लोग तो भाई हो तो पूछ रहे हो, डिपार्टमेंट ने, अब तक मेरे ऑफिस से फोन नहीं आया कि भाई तू जिंदा है ठीक है नहीं है..और जिस मैडम के लिए इतना पिटा हूं मैं, उसे तो भनक भी नहीं है तेरे ऑपरेटर के चोट कितनी लगी है और कहां लगी है?

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पुलिस की नौकरी (गाली..) ऐसी ही है..क्या करें? अमित से भी मैंने पूछा कि भाई..

अमित के कान का पर्दा फट गया..नौंवर-2 को गिरा गिरा के मारी भाई बेल्ट..भाई गिरा गिरा के..

मैने अमित से पूछा कि नौंवर-2 से कोई हास्पिटल में मिलने को आया..वो भी यही कह रहा भाई अभी तो कोई भी नहीं मिलने को आया..उन्हें भी बहुत चोट आ रही है..

भाई बहुत चोट लगी है अमित का कान कटा है कान का पर्दा फटा है..उसको बहुत चोट लगी है. वो बता नहीं रहा है. इंटरनल पेट में मेरी बॉडी में इतनी गुम चोट है कि मैं बिस्तर पर पड़ा पड़ा रो रहा हूं..कहीं भी दर्द हो जाता है..कभी भी..

और वो क्या कहते हैं फिर उनके ऊपर कोई भी एक्शन नहीं हुआ वकीलों पे..मारा पीटा किसी ने नहीं उनको..

न भई'.

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