TMC सांसद नुसरत जहां ने मिमी चक्रवर्ती के साथ ऐसे मनाया भाई फोंटा, तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल

हिन्दुओं का सबसे प्रमुख त्योहार दीपावली होता है यह दीपावली के पांचदिवसीय त्योहारों का सबसे आखिरी दिन होता है.

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Ravindra Singh
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TMC सांसद नुसरत जहां ने मिमी चक्रवर्ती के साथ ऐसे मनाया भाई फोंटा, तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल

नुसरत जहां टीएमसी सांसद( Photo Credit : ट्वीटर)

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आज पूरे देश में भाई दूज के त्योहार की धूम मची हुई है. कोलकाता में तृणमूल कांग्रेस के सांसद नुसरत जहां और मिमी चक्रवर्ती ने 'भाई फोंटा' उत्सव मनाया. नुसरत जहां और मिमी चक्रवर्ती ने कोलकाता के एक वृद्धाश्रम में बुजुर्गों के साथ यह उत्सव मनाया. आपको बता दें कि हिन्दुओं का सबसे प्रमुख त्योहार दीपावली होता है यह दीपावली के पांचदिवसीय त्योहारों का सबसे आखिरी दिन होता है. यह त्योहार भाई-बहन के प्यार का त्योहार माना जाता है. दीपावली के दो दिन बाद मनाए जाने वाले इस त्योहार में हिन्दू बहनें अपने भाइयों के लिए लंबी आयु की कामना करती हैं तो वहीं रक्षा बंधन के त्योहार में भाई अपनी बहनों की आजीवन रक्षा करने का वचन देता है.

आपको बता दें कि नुसरत जहां आए दिन हिंदू त्योहारों में खुलकर हिस्सा लेती हैं और लगातार कट्टरपंथियों के निशाने पर रहती हैं. इसके पहले तृणमूल कांग्रेस (TMC) की युवा सांसद और बंगाली अभिनेत्री नुसरत जहां (Nusrat Jahan) के दुर्गा पूजा पंडाल में आयोजित 'सिंदूर खेला' में हिस्सा लेने पर बवाल मचा हुआ है. देवबंदी उलेमा ने इसे गैर मजहबी बताया तो इस पर नुसरत जहां ने अपने विरोधियों को कड़ा जवाब दिया है. उन्होंने कहा कि मुझे किसी भी विवाद को कोई फर्क नहीं पड़ता है. मैं हर त्योहार को मानती हूं. नुसरत जहां सिंदूर खेला में हिस्सा लिया और इस दौरान उन्होंने कहा कि वह भगवान की स्पेशल चाइल्ड हैं, जो हर त्योहार में हिस्सा लेती हैं. मैं मानवता और मोहब्बत में विश्वास रखती हूं. नुसरत जहां ने आगे कहा कि वह काफी खुश हैं और किसी भी विवाद से उनको कोई फर्क नहीं पड़ता है. गौरतलब है कि नुसरत जहां जब से सांसद बनी हैं, तभी से उनका विवादों से नाता रहा है. फिर चाहे सिंदूर-बिंदी लगाकर संसद में जाना हो या फिर दुर्गा पूजा में हिस्सा लेना, हर बार मौलाना उनसे खफा हो जाते हैं.

आपको बता दें कि हिन्दू धर्म में भाई-बहन के स्नेह-प्रतीक के रूप में साल में दो त्योहार मनाये जाते हैं पहला रक्षाबंधन का त्योहार होता है. यह त्योहार श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है. इसमें बहनें अपने भाइयों को राखी बांधती हैं और बदले में भाई बहनों की रक्षा करने की प्रतिज्ञा करता है और उन्हें तोहफा आदि देता है. दूसरा त्योहार भाई दूज का होता है इसमें बहनें भाई की लंबी आयु की प्रार्थना करती है. भाई दूज का त्योहार कार्तिक माह में मनाया जाता है यह त्योहार दीपावली के ठीक दो दिन बाद मनाया जाता है. भारत में भाई दूज के इस पर्व को अलग-अलग नामों से जाना जाता है. कई लोग इसे भाऊ दूज, भाई फोटा, भाई टीका और टीका के नाम से मनाते हैं. यह पर्व भी रक्षा बंधन के पर्व की तरह ही मनाया जाता है इस दिन बहनें अपने भाइयों के माथे पर तिलक लगाती हैं और उनकी लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं.

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क्यों मनाते हैं भाई दूज
भाई दूज एक ऐसा त्योहार है जिसमें भाइयों और बहनों के बीच प्यार के बंधन उस का सम्मान किया जाता है. दोनों का यह प्यार का एक शानदार उत्सव है और एक भाई और बहन का एक दूसरे के लिए सम्मान का प्रतीक है. इस दिन, बहनें अपने भाइयों के स्वास्थ्य, खुशी और जीवन रक्षा के लिए प्रार्थना करती हैं, जो बदले में भाई अपनी बहनों पर अपने प्यार और देखभाल के प्रतीक के रूप में उपहार देते हैं. भाइयों और बहनों के इस त्योहार पर पूरा परिवार एक साथ आता है और इस उत्सव के दिन मिठाई और अन्य स्वादिष्ट व्यंजनों का आनंद लेता है. भाई दूज की उत्पत्ति से जुड़ी हुई कई कहानियां हैं. आमतौर पर यह माना जाता है कि इस दिन, मृत्यु के देवता भगवान यम अपनी बहन यामी या यमुना के पास आए और यामी ने उनका स्वागत 'आरती' और माला के साथ किया.

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यामी ने उनके माथे पर 'तिलक' लगाया और उन्हें मिठाई और विशेष व्यंजन पेश किए. बदले में, यमराज ने उन्हें एक अनोखा उपहार दिया और घोषणा की कि इस दिन भाइयों को उनकी बहन द्वारा आरती और तिलक मिलेगा और लंबे जीवन का वरदान मिलेगा. यही कारण है कि इस दिन को 'यम द्वितीय' या 'यामादविथिया' के नाम से भी जाना जाता है. एक और किंवदंती बताती है कि राक्षस राजा नारकसुर के वध के पश्चात भगवान कृष्ण अपनी बहन सुभद्रा के पास गए, जिन्होंने मिठाई, माला, आरती और तिलक के साथ स्नेही रूप से भगवान कृष्ण का स्वागत किया था, तब से यह त्योहार मनाया जाता है.

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