तृणमूल कांग्रेस (TMC) चाहती है कि शिक्षक घोटाले को लेकर गिरफ्तार किए गए तत्कालीन शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी (Partha Chatterjee) के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय तय समय सीमा में जांच पूरी कर ले. इसके साथ ही टीएमसी जोर देकर यह भी कह रही है कि अगर किसी भी टीएमसी नेता ने कुछ भी गलत किया है तो पार्टी राजनीतिक रूप से कोई हस्तक्षेप नहीं करेगी. गौरतलब है कि शिक्षक घोटाले में पार्थ चटर्जी की गिरफ्तारी के बाद उनकी नजदीकी अर्पिता चटर्जी के घर छापेमारी में ईडी को 21 करोड़ की नगदी मिली थी. इसके बाद अन्य राजनीतिक दलों ने टीएमसी पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाने शुरू किए, तो टीएमसी ने अर्पिता चटर्जी से पार्टी नेतृत्व और टीएमसी दोनों से ही किसी तरह के संबंध का इंकार किया. टीएमसी ने यह भी कहा कि जांच प्रक्रियाओं को पूरा करने में देरी स्वीकार्य नहीं होगी. इसके लिए पार्टी ने सारदा (Saradha Scam) और नारद टेप (Narada Tape) मामले का भी जिक्र किया. गौरतलब है कि सीबीआई 2014 से सारदा घोटाले की जांच कर रही है, तो पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव से पहले सामने नारद टेप मामले में भी सीबीआई अभी तक किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच सकी है.
टीएमसी नेताओं को बनाया जा रहा निशाना
टीएमसी के प्रवक्ता कुणाल घोष ने आरोप लगाते हुए कहा कि टीएमसी नेताओं को निशाना बनाया जा रहा है. कुणाल घोष ने दावा किया कि कोलकाता के मेयर फिरहाद हकीम को नारद स्टिंग टेप मामले सीबीआई ने में 2021 में गिरफ्तार किया था. हालांकि विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई, जो इस मामले में एक आरोपी है. उन्होंने कहा, 'क्या इसका मतलब यह है कि बीजेपी में होना कानून से ऊपर है?' उन्होंने कहा कि कुछ मामलों में तो केंद्र की जांच एजेंसियों की जांच कई वर्षों से चल रही है. कुणाल घोष ने कहा कि अर्पिता मुखर्जी से ना पार्टी का ना ही पार्थ चटर्जी का कोई संबंध है. उन्होंने कहा, 'पार्टी मामले में समयबद्ध जांच की मांग करती है.' घोष ने कहा, 'अगर ईडी अपने आरोपों का कोई सबूत पेश करती है और अदालत इसे स्वीकार करती है, तो टीएमसी और सरकार किसी भी नेता के खिलाफ कदम उठाएगी, चाहे वह कितना भी बड़ा हो.'
यह भी पढ़ेंः ड्रैगन भारत को घेर हिंद प्रशांत क्षेत्र में दबदबा बढ़ाने कर रहा म्यांमार का इस्तेमाल
अर्पिता का वायरल वीडियो पर दी सफाई
पार्थ चटर्जी और अन्य टीएमसी मंत्रियों और नेताओं के साथ कुछ कार्यक्रमों में अर्पिता की मौजूदगी वाले कुछ वायरल वीडियो पर भी कुणाल घोष ने जोर देकर कहा कि विभिन्न क्षेत्रों के कई लोग राजनीतिक और सामाजिक कार्यक्रमों में भाग लेते हैं, लेकिन इस महिला का तृणमूल कांग्रेस से कोई लेना-देना नहीं है. उन्होंने जोर देकर कहा कि यह टीएमसी का मामला नहीं है, यह उन लोगों की जिम्मेदारी है जिनके नाम सामने आए हैं या उनके वकील इस मुद्दे पर बात करें. पार्टी का इससे कोई संबंध नहीं है. इसके साथ ही कुणाल घोष ने फिर दोहराया कि समयबद्ध जांच इसलिए भी जरूरी है वर्ना विपक्षी दल टीएमसी के खिलाफ राजनीतिक लाभ के लिए इस मामले का इस्तेमाल कर सकते हैं और अभी भी कर रहे हैं. गौरतलब है कि कलकत्ता उच्च न्यायालय ने सीबीआई को राज्य के स्कूल सेवा आयोग (एसएससी) की सिफारिशों की जांच करने का निर्देश दिया है, जिसके तहत पश्चिम बंगाल माध्यमिक शिक्षा बोर्ड द्वारा सरकारी और सहायता प्राप्त स्कूलों में कथित रूप से अवैध नियुक्तियां की गई थीं. इस घोटाले के समय पार्थ चटर्जी शिक्षा मंत्री थे.
HIGHLIGHTS
- टीएमसी प्रवक्ता कुणाल घोष ने सारदा स्कैम और नारद टेप का दिया हवाला
- समयबद्ध जांच नहीं होने से इस मामले का भी होगा राजनीतिक इस्तेमाल