तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) और पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ की रार अब संसद तक पहुंच रही है. राज्यपाल के खिलाफ राज्यसभा में प्रस्ताव लाने का फैसले के साथ ही देशभर में बीजेपी के खिलाफ माहौल बनाने में जुटी टीएमसी अब अन्य दलों से भी प्रस्ताव पर समर्थन मांगने का विचार कर रही है. पश्चिम बंगाल में राज्यपाल और राज्य सरकार के बीच टकराव स्थिति एक बार फिर खुलकर सामने आ गई है. दरअसल टीएमसी ने पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ के खिलाफ प्रस्ताव लाने का फैसला किया है. हालांकि हालिया लोकतांत्रिक इतिहास में यह अपने किस्म का पहला मामला होगा जब संसद के किसी सदन में राज्यपाल के खिलाफ प्रस्ताव लाया जाएगा.
बीजेपी विरोधी पार्टियों से समर्थन लेगी टीएमसी
चूंकि राज्यपाल संविधान द्वारा संरक्षित है, इसलिए टीएमसी सीधे धनखड़ को हटाने की मांग नहीं कर सकती है और इसके बजाय उनके कार्यों पर ध्यान केंद्रित कर सकती है. फिलहाल बजट सत्र से ठीक पहले टीएमसी अपने इस प्रस्ताव के लिए समर्थन जुटाने के लिए भाजपा का विरोध करने वाली अन्य विपक्षी पार्टियों से भी बात करेगी. बंगाल सरकार और राज्यपाल के कटु संबंध हाल के महीनों में सबसे निचले स्तर पर पहुंच गए हैं. हालांकि इस मसले पर टीएमसी नेता सुष्मिता देव ने कहा कि यह निर्णय पार्टी हाईकमान का है. पार्टी ने बहुत सोच-विचार कर यह निर्णय लिया है.
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राज्यपाल पर है दखलंदाजी का आरोप
टीएमसी नेताओं के अनुसार निर्णय पार्टी सांसदों की सर्वसहमति से लिया गया. सदस्य संसद के आगामी सत्र की रणनीति पर पार्टी सांसदों ने एक बैठक भी की थी. टीएमसी सांसद डोला सेन ने कहा, केंद्र में शासित बीजेपी सरकार आईएएस-आईपीएस अधिकारियों का जिस तरह से ट्रांसफर करती रही है, जिस तरह से राज्य सरकारों के हक को मारती रही है, उसके खिलाफ हम देशभर में लड़ेंगे. संसद के बजट सत्र में भी इस मुद्दे को उठाएंगे. राज्यपाल ने कई फैसले कानून और नियमों के खिलाफ लिए हैं.
टीएमसी नेता भी भड़ास निकालने में पीछे नहीं
हालांकि संवैधानिक विशेषज्ञों ने कहना है कि भारत में किसी भी पार्टी ने हाल के इतिहास में ऐसा नहीं किया है और यह प्रयास व्यर्थ हो सकता है. इस मसले पर टीएमसी के राज्यसभा सदस्य और वकील सुखेंदु शेखर रॉय ने कहा कि जब भी शासन में दखल देने की बात आती है, तो राज्यपाल धनखड़ ने सारी हदें पार कर दी हैं. वह मनमाने ढंग से नौकरशाहों को तलब करते हैं और उनके कार्यों के लिए स्पष्टीकरण की मांग भी करते हैं. उन्होंने मुख्यमंत्री के प्रति कोई सम्मान नहीं दिखाया. हम संसद के सामने पूरा मामला पेश करेंगे.
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धनखड़ को बीजेपी का एजेंट बताती है टीएमसी
गौरतलब है कि टीएमसी के नेता सार्वजनिक मंचों पर राज्यपाल जगदीप धनखड़ को बीजेपी का एजेंट बताते रहे हैं. यहां तक कि राजभवन को भगवा कैंप का कार्यालय भी बताते रहे हैं. 30 जुलाई 2019 को जगदीप धनखड़ ने पश्चिम बंगाल के राज्यपाल के तौर पर शपथ ली थी, लेकिन इसके कुछ महीने बाद से ही राज्यपाल और ममता सरकार से उनके मतभेद सामने आने लगे थे. दोनों ही तरफ से कई पत्र भी मीडिया भी सामने आये. दो दिन पहले भी राज्यपाल धनखड़ ने आरोप लगाया था कि राज्य के मुख्य सचिव उनका फोन नहीं उठाते. यहां तक की कॉल का जवाब तक नहीं देते. वहीं राज्यपाल ने बंगाल विधानसभा अध्यक्ष बिमान बनर्जी पर भी निशाना साधते हुए कहा था कि उनके पास किसी विधेयक या सरकार की किसी भी सिफारिश के संबंध में कोई भी फाइल लंबित नहीं है.
HIGHLIGHTS
- टीएमसी राज्यसभा में जगदीप धनखड़ पर लाएगी प्रस्ताव
- सरकारी कामकाज में दखलंदाजी का आरोप मढ़ रही पार्टी
- खुले तौर पर राज्यपाल को बता रही है बीजेपी का एजेंट