संसद के उच्च सदन राज्यसभा में गुरुवार को केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव के साथ तृणमूल कांग्रेस (TMC) के सांसद शांतनु सेन की हरकत पर केंद्रीय राज्यमंत्री खाद्य प्रसंस्करण उद्योग एवं जल शक्ति प्रहलाद सिंह पटेल ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि संसद की मर्यादा के खिलाफ इस तरह का व्यवहार बिल्कुल बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है. देश की सर्वोच्च संस्था राज्यसभा, जो संवाद, विचार विमर्श और शालीनता से आमजन की समस्याओं के निदान के लिए चर्चा का मंच है, वहां यह अमर्यादित तांडव छद्म नक्सलवाद जैसा ही है. टीएमसी के नेताओं के व्यवहार से यह षड्यंत्र देश के सामने आ गया है. संसद की मर्यादा का अपमान करने वालों का असली चरित्र देश देख रहा है.
प्रहलाद सिंह पटेल ने कहा कि आप टीएमसी का इतिहास उठाकर देख सकते हैं कि हिंसा इनकी कार्यप्रणाली का हिस्सा रही है. जो हिंसा बंगाल चुनाव के दौरान भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ शुरू हुई थी वो अब देश की सर्वोच्च संस्था राज्यसभा तक भी पहुंच गई है, जोकि बहुत ही दुखद है. संसद में ऐसी हरकतों से आम आदमी के बीच गलत संदेश जाता है उनका विश्वास संसद से उठता है, इसलिए ऐसी घटिया हरकत करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई जरूरी है.
गौरतलब है कि राज्यसभा में शांतनू सेन ने आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव के हाथों से कागज छीनकर उसके टुकड़े करके हवा में फेंक दिए थे. अश्विनी वैष्णव उस समय उच्च सदन में पेगासस सॉफ्टवेयर के जरिये भारतीयों की जासूसी करने संबंधी खबरों और इस मामले में विपक्ष के आरोपों पर बयान दे रहे थे.
पेगासस जासूसी लोकतंत्र की छवि खराब करने की कोशिश, कोई तथ्यात्मक आधार नहीं : अश्विनी वैष्णव
पेगासस जासूसी के कथित दावे को लेकर संसद के मानसून सत्र में आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने सरकार का पक्ष रखा. अश्विनी वैष्णव ने कहा कि कल रात एक वेबसाइट पर बहुत सनसनीखेज खबर प्रकाशित की गई. इस खबर में कई तरह के आरोप लगाए गए. मीडिया में यह खबर संसद के मानसून सत्र के प्रारंभ होने से एक दिन पहले आई है. यह महज संयोग नहीं हो सकता.
अश्विनी वैष्णव कहा है कि हमारे कानूनों और मजबूत संस्थानों में जांच और संतुलन के साथ किसी भी प्रकार की अवैध निगरानी संभव नहीं है. भारत में एक अच्छी तरह से स्थापित प्रक्रिया है जिसके माध्यम से राष्ट्रीय सुरक्षा के उद्देश्य से इलेक्ट्रॉनिक संचार का वैध तरीके से इस्तेमाल किया जाता है. आईटी मंत्री ने कहा कि जब हम इस मुद्दे को तर्क के चश्मे से देखते हैं, तो यह स्पष्ट रूप से सामने आता है कि इस सनसनीखेज के पीछे कोई दम नहीं.
आईटी मंत्री वैष्णव ने कहा कि पहले भी पेगासस के इस्तेमाल को लेकर इसी तरह के दावे किए गए थे. उन रिपोर्टों का कोई तथ्यात्मक आधार नहीं था और सुप्रीम कोर्ट सहित सभी पक्षों द्वारा स्पष्ट रूप से इनकार किया गया था. 18 जुलाई 2021 की प्रेस रिपोर्ट भी भारतीय लोकतंत्र और इसकी स्थापित संस्थाओं को बदनाम करने की कोशिश लगती है. आईटी मंत्री वैष्णव ने कहा कि इस खबर का आधार एक समूह है जिसने कथित तौर पर 50 हजार फोन नंबरों के लीक किए गए डेटा बेस को प्राप्त किया.
Source : News Nation Bureau