राजनीति में न तो कोई स्थायी शत्रु होता है और ना ही स्थायी मित्र. महाराष्ट्र में भारतीय जनता पार्टी (BJP) और शिवसेना (Shivsena) का दशकों पुराना साथ टूटना अगर इसका हालिया उदाहरण है, तो पश्चिम बंगाल में 2024 लोकसभा चुनाव से पहले एक और उदाहरण सामने आ सकता है. सूबे की सत्ता पर लगातार तीसरी बार काबिज होने के बाद ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) एकीकृत विपक्षी नेता बतौर उभरी हैं. संभवतः यही वजह है कि सीपीआई (एम) के बाद अब लेफ्ट (Left) गठबंधन की एक और सहयोगी पार्टी सीपीआई ने भी संकेत दिए हैं कि वह राष्ट्रीय स्तर पर बीजेपी को हराने के लिए तृणमूल कांग्रेस से हाथ मिलाने को तैयार है.
सीपीआई (एम) के बाद सीपीआई के बदले सुर
पश्चिम बंगाल में यह नया समीकरण लेफ्ट फ्रंट के चेयरमैन और सीपीआई (एम) पोलितब्यूरो सदस्य बिमान बोस की उस घोषणा के बाद सामने आया है, जिसमें उन्होंने कहा है कि राष्ट्रीय स्तर पर बीजेपी से लड़ने के लिए पार्टी तृणमूल कांग्रेस से हाथ मिलाने को तैयार हैं. इसके बाद सीपीआई के राज्य सचिव स्वप्न बनर्जी ने भी कहा है कि उनका केंद्रीय और राज्य नेतृत्व किसी भी ऐसी पार्टी या गठबंधन को समर्थन देगा जो बीजेपी को मुख्य खतरा मानते हुए इसे हटाना चाहती है. यह कोई मुद्दा नहीं है, यदि हमें इसके लिए कांग्रेस या टीएमसी जैसी किसी क्षेत्रीय पार्टी से हाथ मिलाना पड़े.
यह भी पढ़ेंः okyo Olympics: PV Sindhu से मेडल की आस, डिस्कस थ्रो में सीमा पूनिया का मुकाबला जारी
राष्ट्रीय स्तर पर बीजेपी को हराने टीएमसी का साथ मजबूर
पिछली पार्टी बैठक में स्वप्न बनर्जी ने कहा, 'पार्टी की चुनावी समीक्षा बैठक के दौरान भी सीपीआई राज्य ईकाई ने कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर बीजेपी के खिलाफ लड़ने के लिए टीएमसी से हाथ मिलाने में संकोच नहीं किया जाएगा.' हालांकि उन्होंने यह भी स्पष्ट कर दिया कि टीएमसी से राष्ट्रीय स्तर पर हाथ मिलाने का यह मतलब नहीं की सीपीआई राज्य स्तर पर अपनी लड़ाई बंद कर देगी. उन्होंने कहा, 'हमें यह स्वीकार करना होगा कि देश को इस समय सबसे ज्यादा खतरा बीजेपी से है.'
यह भी पढ़ेंः PM मोदी शनिवार को IPS प्रोबेशनर्स को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए करेंगे संबोधित
विधानसभा चुनाव में टीएमसी और बीजेपी को बताया था सैद्धांतिक दुश्मन
गौरतलब है कि सीपीआई (एम) की अगुआई में लेफ्ट फ्रंट, कांग्रेस और नवगठित इंडियन सेक्युलर फ्रंट ने बंगाल विधानसभा चुनाव में गठबंधन करते हुए ऐलान किया था कि टीएमसी और बीजेपी दोनों उनके सैद्धांतिक दुश्मन हैं. यह अलग बात है कि आजादी के बाद पहली बार लेफ्ट फ्रंट और कांग्रेस का विधानसभा में खाता भी नहीं खुला तो आईएसएफ को केवल एक सीट मिली. आईएसएफ से गठबंधन को लेकर बाद में लेफ्ट फ्रंट में दरार भी दिखी और सीपीआई, फॉर्वर्ड ब्लॉक, आरएसपी ने सीपीआई (एम) के फैसले को गलत बताया. अब ममता बनर्जी की तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ा लेफ्ट फ्रंट एक नया समीकरण पेश कर रहा है.
HIGHLIGHTS
- लेफ्ट फ्रंट को बीजेपी को हराने के लिए टीएमसी का साथ भी मंजूर
- सीपीआई (एम) के बाद अब सीपीआई के बदले ममता के प्रति सुर
- 2024 लोकसभा चुनाव से पहले आकार ले सकता है नया समीकरण