राज्यसभा (Rajya Sabha) में पीएम मोदी के नेतृत्व वाले एनडीए सरकार के पास बहुमत नहीं है. इसके बावजूद अपनी बेहतर रणनीति और विपक्ष में एकता नहीं होने की वजह से मोदी सरकार ने आरटीआई विधेयक समेत 15 विधेयक पारित करा लिया. विपक्ष का आरोप है कि इनमें से 14 विधेयक ऐसे थे, जो किसी संसदीय समिति के पास नहीं भेजे गए. मोदी सरकार की रणनीति को देखते हुए यह उम्मीद की जा रही है कि आज यानी मंगलवार को उच्च सदन में पेश तीन तलाक बिल (triple talaq bill) भी आसानी से पास हो जाएगा.
राज्य सभा का गणित
राज्य सभा में कुल 241 सांसद हैं और किसी भी बिल को पास करवाने के लिए 121 वोट चाहिए. बीजेपी के 78 सांसद राज्यसभा (Rajya Sabha) में हैं तो वहीं अन्य NDA दलों की बात करें तो AIDMK 11, जेडीयू 6, शिवसेना 3, शिरोमणी अकाली दल 3 और निर्दलीय और नामांकित 12 सासंद हैं.
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इस तरह NDA के पक्ष में कुल 113 सांसदों का वोट तय माना जा रहा है लेकिन यह संख्या मेजोरिटी के 121 के मार्क से 8 कम है. ऐसे में अगर उसे बीजेडी के सात सांसद, तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) के 6, वाईएसआर कांग्रेस के दो सांसदों का साथ मिलता है तो बिल के समर्थन में 128 वोट पड़ेंगे और बिल आसानी से पास हो जाएगा.
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लोकसभा में प्रचंड बहुमत वाली मोदी सरकार ने राज्यसभा (Rajya Sabha) में तटस्थ दलों टीआरएस, बीजद और वाईएसआर को अपने पाले में कर लिया है. इन दलों के मिलाकर 15 सांसद हैं. माना जा रहा है तीन तलाक पर भी टीआरएस और बीजद सरकार के पक्ष में वोट करेंगे.
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वहीं कांग्रेस, तृणमूल और वामदलों के बीच सदन में कई मुद्दों पर तालमेल नहीं बैठ पा रहा है. इससे सरकार का फायदा हो रहा है. मसलन, तीन तलाक बिल (triple talaq bill) को तृणमूल कांग्रेस चयन समिति को भेजने के पक्ष में तो है पर राज्य में सियासी नुकसान से बचने को वह इसके खिलाफ वोट नहीं करना चाहती.