लोकसभा में दिनभर चली चर्चा के बाद आखिरकार एक बार फिर तीन तलाक बिल पास हो गया है. मत विभाजन के दौरान पक्ष में 303 और विपक्ष में 82 वोट पड़े हैं. इसके बाद बिल में संशोधन के लिए वोटिंग हुई, जिसमें पक्ष में 303 और विपक्ष में 78 वोट पड़े हैं. इसके साथ ही ओवैसी की ओर से लाए गए संशोधन को सदन ने ध्वनिमत से खारिज कर दिया है. ओवैसी की ओर से दिए गए दूसरे संशोधन को भी सदन ने खारिज कर दिया है. एन के प्रेमचंद्रन के संशोधन प्रस्ताव को भी खारिज कर दिया गया है.
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बता दें कि लोकसभा में तीन तलाक बिल को विचार के लिए पेश करने के प्रस्ताव पर विपक्षी सांसदों ने वोटिंग की मांग की थी. इसके बाद लोकसभा स्पीकर ने इसकी अनुमति दी. सदन के सभी सदस्य पर्चियों के जरिए प्रस्ताव के पक्ष या विपक्ष में अपना वोट दर्ज कराए. इसके बाद स्पीकर ओपी बिड़ला ने पक्ष को 303 वोट मिलने के बाद तीन तलाक बिल पास की घोषणा कर दी.
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इस तरह लोकसभा से एक बार फिर तीन तलाक बिल पास हो गया है. कांग्रेस, डीएमके, एनसीपी समेत कई विपक्षी दलों ने इसका विरोध किया, जबकि टीएमसी और सरकार की सहयोगी जेडीयू ने सदन से वॉक आउट कर दिया है. हालांकि, अब राज्यसभा में तीन तलाक बिल पास कराना सरकार के लिए टेड़ी खीर है. लोकसभा में गुरुवार को बहुप्रतिक्षित मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक यानी तीन तलाक बिल पेश किया गया. तीन बिल पर चर्चा चल रही है.
यह बिल पिछली लोकसभा से पास हो चुका था, लेकिन राज्यसभा से इस बिल को वापस कर दिया गया था. इसके बाद 16वीं लोकसभा का कार्यकाल खत्म होने के बाद इस लोकसभा में सरकार कुछ बदलावों के साथ फिर से बिल को लेकर आई है. अब इस बिल को राज्यसभा से पारित कराने की चुनौती सरकार के सामने हैं, जहां एनडीए के पास पूर्ण बहुमत नहीं है.
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सरकार से लेकर विपक्ष तीन तलाक पर अपने विचार रख रहे हैं. कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने तीन तलाक बिल पर बोलने वाले सदन के सभी सदस्यों का आभार जताया है. कानून मंत्री ने कहा, यह बिल महिलाओं के लिए लाया गया है और इस वजह से महिला सदस्यों को विशेष आभार जताता हूं. उन्होंने कहा कि मुस्लिमों के लिए तीन तलाक बिल इसलिए लाए, क्योंकि तीन तलाक सिर्फ वहीं है और कहीं होता तो उनके लिए भी ऐसा बिल लेकर आते. सदन को तीसरी बार बिल पर चर्चा करनी पड़ रही है, क्योंकि कानून की निगरानी नहीं कुछ लोग कानून को रोकने की मंशा से यहां बैठे हैं.