लोकसभा में पास होने के बाद मोदी सरकार तत्काल तीन तलाक बिल (Triple Talaq) पर रोक लगाने वाले विधेयक को आज राज्यसभा में पेश किया. राज्यसभा में तीन तलाक बिल (Triple Talaq Bill) मत विभाजन में 84 के मुकाबले 99 वोटों से पास हो गया. लोकसभा में पास हो चुके इस बिल को मोदी सरकार पास कराने में कामयाब रही. लोकसभा में बिल के पक्ष में 303 और विरोध में 82 मत पड़े थे. तब कांग्रेस, तृणमूल, सपा और डीएमके समेत अन्य पार्टियों ने बिल का विरोध करते हुए वोटिंग से पहले सदन से वॉकआउट किया था. इस मुद्दे पर पीडीपी भी वॉक आउट कर गई.
यह भी पढ़ेंः शाहबानो से शायरा बानो तक जानिए तीन तलाक को लेकर कब क्या हुआ
इस बिल में तीन तलाक बिल (Triple Talaq Bill) को गैर कानूनी बनाते हुए 3 साल की सजा और जुर्माने का प्रावधान शामिल है. राज्यसभा में चर्चा के बाद बिल को सेलेक्ट कमेटी के पास भेजने के प्रस्ताव पर वोटिंग हुई. विपक्षी दलों के कई सांसदों ने बिल को कमेटी के पास भेजने की मांग की थी. सदन ने इसे सेलेक्ट कमेटी के पास भेजने के प्रस्ताव को खारिज कर दिया. कमेटी को भेजने के पक्ष में 84 वोट पड़े जबकि नहीं भेजने के पक्ष में 100 सदस्य थे.
Disposal of reference of amendment of the Muslim Women (Protection of Rights on Marriage) Bill, 2019 to the select committee has been rejected with 84 'Ayes' and 100 'Noes'. https://t.co/yyrFT3SVRq
— ANI (@ANI) July 30, 2019
संशोधित ट्रिपल तलाक बिल से जुड़ीं 5 अहम बातें
- अगर ट्रिपल तलाक को मंजूरी मिल जाती है तो कानून गैरजमानती बना रहेगा. लेकिन, आरोपी जमानत मांगने के लिए सुनवाई से पहले भी मजिस्ट्रेट से गुहार लगा सकते हैं. गैरजमानती कानून के तहत जमानत थाने में ही नहीं दी जा सकती है.
- यह प्रावधान इसलिए जोड़ा गया है, ताकि मजिस्ट्रेट पत्नी को सुनने के बाद जमानत दे सकें. सरकार ने साफ किया है कि प्रस्तावित कानून में तीन तलाक का अपराध गैरजमानती बना रहेगा.
- मजिस्ट्रेट तय करेंगे कि जमानत सिर्फ तब ही दी जाए जब पति विधेयक के अनुसार पत्नी को मुआवजा देने पर राजी हो. विधेयक के मुताबिक, मुआवजे की राशि मजिस्ट्रेट द्वारा तय की जाएगी.
- पुलिस केवल तब प्राथमिकी दर्ज करेगी जब पीड़ित पत्नी, उसके किसी करीबी संबंधी या शादी के बाद उसके रिश्तेदार बने किसी व्यक्ति की ओर से पुलिस से गुहार लगाई जाती है.
- विधेयक के अनुसार, मुआवजे की राशि मजिस्ट्रेट तय करेंगे. एक अन्य संशोधन यह साफ करता है कि पुलिस तब प्राथमिकी दर्ज करेगी जब पीड़ित पत्नी, उसके किसी करीबी संबंधी या शादी के बाद उसके रिश्तेदार बने किसी व्यक्ति द्वारा पुलिस से गुहार लगाई जाती है.
पार्टी | सदस्य संख्या |
बीजेपी | 78 |
कांग्रेस | 47* |
अन्नाद्रमुक | 13 |
तृणमूल | 13 |
सपा | 12 |
बीजद | 7 |
जदयू | 6 |
टीआरएस | 6 |
बसपा | 4 |
शिवसेना | 3 |
अकाली दल | 3 |
* कांग्रेस के संजय सिंह ने आज ही सदस्यता से इस्तीफा दे दिया और उनका इस्तीफा मंजूर भी कर लिया गया है.
इन दलों ने नहीं लिया हिस्सा
राज्यसभा में AIADMK सांसदों ने बिल को सेलेक्ट कमेटी के पास भेजने की मांग करते हुए सदन से वॉक आउट कर दिया. सरकार की सहयोगी जेडीयू के सांसद पहले ही सदन से वॉक आउट कर चुके हैं. ये दोनों दल एनडीए के घटक हैं. वहीं TRS के सदस्य भी वोटिंग में शामिल नहीं हुए.
Source : DRIGRAJ MADHESHIA