मुस्लिम महिला संगठन ने ट्रिपल तलाक बिल के आपराधिक प्रावधान को बनाए रखने के लिये कहा है लेकिन इसके साथ ही मांग की है कि सजा की समयसीमा को कम किया जाए।
इसके साथ ही सरकार और विपक्षी दलों से अनुरोध किया है कि वो इस मसले पर मतभेद भुलाकर काम करें और मुस्लिम महिलाओं को उनका अधिकार दिलाने के लिये बिल को पारित करने में सहयोग करें।
बिल के अनुसार ट्रिपल तलाक देना अवैध होगा और इस तरह से तलाक देने वाले पति को तीन साल की जेल हो सकती है। इसके अलावा ये गैर जमानती अपराध होगा।
भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन (बीएमएमए) ने सरकार को प्रस्ताव दिया है कि तान साल की सजा की जगह इसमें एक साल की सजा की प्रावधान किया जाए। साथ ही इसे जमानती अपराध बनाया जाए।
लेकिन बीएमएमए ने सरकार से कहा है कि जो लोग ट्रिपल तलाक का समर्थन करते हैं और प्रेरित करते हैं उन लोगों के लिये तीन साल की सजा का प्रावधान किया जाए।
और पढ़ें: पद्मावत: करणी सेना का मॉल में उत्पात, गाड़ियों को किया आग के हवाले
सरकार मुस्लिम वीमन (प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स ऑन मैरिज), 2017 बिल को राज्य सभा से 29 जनवरी से शुरू हो रहे बजट सत्र के दौरान पारित कराने की कोशिश में है।
इस बिल को लोकसभा में शीतकालीन सत्र के दौरान दिसंबर में पारित कराया गया था। लेकिन राज्य सभा में विपक्ष इसे सेलेक्ट कमेटी को भेजे जाने की मांग कर रहा है।
बीएमएमए की सह संस्थापक ज़किया सोमन ने कहा, 'ट्रिपल तलाक बिल के खिलाफ लाए जा रहे कानून को लाने के लिये विपक्ष और सरकार को मिलकर काम करना चाहिये। उन्हें अपने राजनीतिक मतभेद को दूर कर इस कानून को लाना चाहिये। मुस्लिम महिलाओं को कानूनी सुरक्षा लंबे समय से नहीं मिली है क्योंकि चुने हुए प्रतिनिधियों ने अपने कर्तव्य का निर्वाह नहीं किया।'
सुप्रीम कोर्ट में चले ट्रिपल तलाक के मामले में बीएमएमए भी याचिकाकर्ता है।
सोमन ने कहा, 'अगर विपक्ष और सरकार जीएटी पर मतभेद बुलाकर कानून ला सकते हैं तो उन्हें इस पर भी राजनीतिक इच्छा शक्ति दिखानी चाहिये।'
इस संबंध मे बीएमएमए ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और कानून मंत्री रविशांकर प्रसाद को पत्र लिखा है और 60,000 मुस्लिम महिलाओं से बातचीत कर तैयार की गई प्रस्तावित कानून की प्रति भी भेजी है।
और पढ़ें: अमेरिका ने भारतीय मूल के 'जिहादी जॉन' को ग्लोबल आतंकी घोषित किया
Source : News Nation Bureau