न्यूज नेशन पर रात नौ बजे समय होता 'खोज खबर' का, जिसमें वरिष्ठ पत्रकार दीपक चौरसिया ने सबसे बड़ी बहस 'मौलाना कब तक खैर मनाएगा' में तबलीगी जमात के मुखिया मौलाना साद के पाखंड पर डिबेट की. आपको बता दें कि जब देश में कोरोना वायरस के बहुत कम मामले थे तब मौलान साद ने दिल्ली के मरकज भवन में हजारों मुस्लिमों को छिपकर ब्रेनवाश में लगा हुआ था. वरिष्ठ पत्रकार दीपक चौरसिया टीवी डिबेट शो 'मौलाना कब तक खैर मनाएगा' के मुद्दे पर पर चैनल पर आए मेहमानों के साथ चर्चा की. इस डिबेट शो में एआईआईए के अध्यक्ष मौलाना साजिद रशीदी, सोशल एक्टिविस्ट शबनम खान, इस्लामिक स्कॉलर सहैब काशमी, QIQ अध्यक्ष मौलाना सईद अल कादिरी, सोशल एक्टिविस्ट बिलाल खान के साथ इस्लामिक स्कॉलर सुबुही खान ने हिस्सा लिया.
डिबेट शो की शुरुआत में कार्यक्रम को होस्ट कर रहे वरिष्ठ पत्रकार दीपक चौरसिया ने मौलाना साजिद रशीदी से सवाल करते हुए शुरू की कि कहां हैं मौलाना साद अब तो उनका क्वारेंटीन का समय भी पूरा हो गया है. साथ ही दीपक चौरसिया ने यह भी कहा कि देश को कोरोना वायरस संक्रमण में धकेलने वाले मौलाना को अब हम मौलाना की जगह कोरोना वायरस वाले मौलाना कहेंगे. दीपक चौरसिया की इस बात पर नाराजगी जताते हुए साजिद रशीदी ने कहा कि आप उनकी उम्र का खयाल करें उन्हें इस तरह से तो जलील न करें वो जो भी हैं उसकी सजा उन्हें कानून से मिलेगी हम और आप उन्हें कुछ कहने वाले कौन होते हैं.
साजिद रशीदी के इस जवाब पर सोशल एक्टिविस्ट शबनम खान ने जवाब देते हुए कहा कि, किसी को सम्मान उसकी उम्र देखकर नहीं दिया जाता है. उसके कर्मों को देखकर उसे सम्मान दिया जाता है. और तबलीगी जमात के मुखिया मौलाना साद के कर्म इतने अच्छे नहीं है कि उन्हें सम्मान दिया जाए. अगर उन्होंने मरकज की बिल्डिंग में इतने कोरोना पॉजिटिव जमातियों को नहीं छुपाया होता तो शायद देश की स्थिति आज कुछ और रही होती. उन्होंने व्यंगात्मक लहजे में साजिद रशीदी से सवाल किया कि चलिए मैं बहुत तहजीब से पूछ रही हूं कि मौलाना साद अभी कहां छुपे हैं.