अयोध्या भूमि विवाद मामले में रोजाना सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है, लेकिन इसी बीच सुनवाई के दौरान वकीलों के खर्च का क्रेडिट लेने के लिए दो मुस्लिम संगठन (Muslim Organisations) आमने-सामने आ गए हैं. ये संगठन ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और मौलाना अरशद मदनी की जमीयत उलेमा-ए-हिंद हैं. ये दोनों संगठन अयोध्या मसले पर क्रेडिट लेने की होड़ में लगे हुए हैं.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, जमीयत उलेमा-ए-हिंद (Jamiat Ulema-e-Hind) पहले से ही यह बताने की कोशिश करता रहा है कि केस लड़ने का पूरा खर्च मौलाना अरशद मदनी उठा रहे हैं. बता दें कि इस मामले में पैरवी कर रहे मुस्लिम पक्षकारों के सबसे बड़े वकील राजीव धवन इस मामले की पैरवी के लिए एक भी पैसा फीस नहीं ले रहे हैं. हालांकि, मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा है कि बाकी वकीलों को चेक के जरिए फीस दी जा रही है.
इस मसले को लेकर मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रवक्ता सैय्यद कासिम रसूल इलियास का एक पत्र सोशल मीडिया (Social Media) में वायरल हो गया है. इसमें कहा गया है कि उर्दू के अखबरों के जरिए मौलाना अरशद मदनी और उनके लोगों ने अयोध्या के मामले को हाईजैक करने की कोशिश की है. इस पत्र में यह भी कहा गया है कि इस हाईजैकिंग के लिए वे काफी पैसा भी खर्च कर रहे हैं.
बता दें कि हाल ही में जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने पिछले दिनों आरएसएस (RSS) प्रमुख मोहन भागवत से मुलाकात की थी. इसके दूसरे दिन बिना मौलाना अरशद मदनी का नाम लिए मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने उन पर हमला बोला था. बोर्ड ने मुस्लिम समुदाय को ऐसे लोगों से सावधान रहने की सलाह दी थी. इससे यह बात साफ हो चुकी थी कि जमीयत और बोर्ड के बीच रिश्ते अच्छे नहीं रह गए हैं.
जमीयत के लीगल सेल के अध्यक्ष गुलजार आजमी ने बताया कि फोटो स्टेट से लेकर वकीलों की फीस तक का खर्च जमीयत ही उठा रही है. खर्च उठाने में कोई दूसरा संगठन शामिल नहीं है. उन्होंने यह भी कहा कि बाबरी मामले को लेकर सबसे पहले कोर्ट जमीयत ही गई थी और इसके सबसे बड़े वकील एजाज मकबूल की फीस भी वही दे रही है. उन्होंने इस मसले में मुस्लिम पर्सनल बोर्ड के कहीं न होने की बात भी कही.
Source : न्यूज स्टेट ब्यूरो