पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के बाद हुई हिंसा का मुद्दा अब देशभर से 2,093 महिला वकीलों ने उठाया है. इन्होंने भारत के प्रधान न्यायाधीश एन.वी. रमना को पत्र लिखकर चुनाव के बाद हुए खूनखराबे की जांच के लिए विशेष जांच दल (एसआईटी) के गठन की मांग की है. महिला वकीलों ने कहा कि बंगाल में संवैधानिक संकट है, जहां चुनाव के बाद दो मई से जारी हिंसा के कारण नागरिकों की स्थिति दयनीय है. पत्र में कहा गया है, यह अत्यंत दुख के साथ कहा जा रहा है कि हिंसा से जुड़े अपराधियों ने महिलाओं और बच्चों को भी नहीं बख्शा है. पश्चिम बंगाल राज्य में मानवाधिकारों के घोर उल्लंघन की वर्तमान स्थिति में देश के सर्वोच्च न्यायालय को तत्काल ध्यान देने की जरूरत है.
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वकीलों ने शीर्ष अदालत से असम, बिहार, ओडिशा और झारखंड के डीजीपी को अपने-अपने राज्यों में शरण लिए हुए लोगों के संबंध में पूरा डेटा तैयार करने का निर्देश देने का आग्रह किया है. वकीलों ने कहा कि पुलिस गुंडों के साथ है और पीड़ित अपनी शिकायत दर्ज करने की स्थिति में नहीं हैं. याचिका में कहा गया है, राज्य में संवैधानिक तंत्र पूरी तरह चरमरा गया है. यहां तक कि मीडिया भी पिछले कुछ दिनों से खामोश है और पश्चिम बंगाल की स्थिति की सही और वर्तमान तस्वीर नहीं दिखा रहा है. इसके अलावा, पत्र में पीड़ितों की शिकायतें दर्ज करने के लिए पश्चिम बंगाल पुलिस के बाहर के किसी अधिकारी को नोडल अधिकारी भी बनाने की मांग की गई है.
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प्रधान न्यायाधीश को लिखे पत्र में पश्चिम बंगाल के पुलिस महानिदेशक को प्राथमिकता के आधार पर सभी स्तर पर एक प्रभावी शिकायत प्रणाली स्थापित करने और पुलिस विभाग को मिली शिकायतों के संबंध में शीर्ष अदालत के सामने दैनिक रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश देने का भी अनुरोध किया गया है.
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146 सेवानिवृत्त अधिकारियों ने राष्ट्रपति को लिखा पत्र
सेवानिवृत्त न्यायाधीशों, सिविल और पुलिस सेवाओं के वरिष्ठ अधिकारियों, राजदूतों और सशस्त्र बलों के वरिष्ठ अधिकारियों के एक मंच ने राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद को पश्चिम बंगाल में हालिया राजनीतिक हिंसा को लेकर एक पत्र लिखा है. बंगाल में 2 मई को विधानसभा चुनाव के नतीजे घोषित होने के बाद हिंसा भड़क उठी थी, जिसकी जांच की मांग करते हुए ज्ञापन या पत्र लिखा गया है.
इस ज्ञापन पर 146 सेवानिवृत्त व्यक्तियों ने हस्ताक्षर किए हैं, जिनमें 17 न्यायाधीश, 63 नौकरशाह, 10 राजदूत और 56 सशस्त्र बल अधिकारी शामिल हैं. पूर्व प्रशासनिक अधिकारियों ने कहा कि यह स्पष्ट है कि राजनीतिक हिंसा से होने वाली नागरिक मौतें राज्य के कानून व व्यवस्था प्रवर्तन तंत्र की गंभीर चूक के परिणाम के रूप में समझा जाना चाहिए. राजनीतिक हिंसा लोकतांत्रिक मूल्यों का अभिशाप है.
HIGHLIGHTS
- देशभर की 2093 महिला वकीलों की सीजेआई से अपील
- 146 सेवानिवृत्त अधिकारियों ने राष्ट्रपति को लिखा पत्र
- बंगाल में राजनीतिक हिंसा पर संज्ञान लें