महाराष्ट्र में विश्वास मत रूपी सरकार गठन की पहली बाधा पार करने के बाद मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (Udhav Thackeray) के लिए रविवार का दिन दूसरी परीक्षा का होगा. शिवसेना नीत गठबंधन सरकार (Coalition Government) आज विधान सभा अध्यक्ष का चुनाव करेगी. आमतौर पर तो अध्यक्ष का चुनाव सर्वसम्मति या जरूरत पड़ने पर गुप्त मतदान के जरिये ही होता है. यह अलग बात है कि शनिवार को सदन में 169 मतों से विश्वास मत हासिल करने वाली उद्धव ठाकरे सरकार खुली वोटिंग (Open Voting) की मांग कर रही है. वजह बेहद साफ है कि कांग्रेस-एनसीपी (Congress-NCP) के समर्थन से बनी शिवसेना सरकार कोई जोखिम नहीं लेना चाहती. सत्ता पक्ष (Ruling Party) के रणनीतिकारों का मानना है कि ओपन वोटिंग से किसी विधायक के 'टूटने' का खतरा ना के बराबर रह जाएगा. गौरतलब है कि विधानसभा अध्यक्ष के चुनाव के लिए महाविकास आघाड़ी की तरफ से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और नाना पाटोले (Nana Patole) और बीजेपी की ओर से किशन कथोरे (Kisan Kathore) ने नामांकन दाखिल किया है. विधानसभा अध्यक्ष पद के लिए नाम वापसी का समय रविवार सुबह 10 बजे तक का है.
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इस रणनीति की असल वजह
विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव ओपन वोटिंग से हो इस तरह का बयान कांग्रेस नेता और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण शनिवार को फ्लोर टेस्ट के बाद दे ही चुके हैं. अब सूत्रों के मुताबिक रविवार को विधानसभा अध्यक्ष के चुनाव से पहले सत्ता पक्ष सदन में औपचारिक तौर पर इस बात का प्रस्ताव रखेगा कि विधानसभा अध्यक्ष पद के लिए प्रस्तावित चुनाव गुप्त मतदान की जगह ओपन वोटिंग से किया जाए. इसके लिए सत्ता पक्ष सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश का हवाला दे सकता है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने राज्य में विधायकों की खरीद-फरोख्त न होने देने और विधानसभा सदन में निष्पक्ष माहौल की बात कही है. सत्ता पक्ष इसके पीछे दो पहलुओं का हवाला दे रहा है. पहला तो यही कि उसके पास 169 विधायकों का बहुमत है. दूसरे प्रोटेम स्पीकर की कुर्सी पर एनसीपी के दिलीप वलसे पाटील बैठे हैं. अगर सत्ता पक्ष खुली वोटिंग का प्रस्ताव करता है, तो प्रोटेम स्पीकर इसके लिए ध्वनिमत का सहारा ले सकते हैं और बहुमत के आधार पर इस प्रस्ताव को मंजूर कर सकते हैं.
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ओपन वोटिंग के लिए बदलना पड़ेगा नियम
हालांकि ओपन वोटिंग संवैधानिक कसौटी पर कसी जाएगी. विपक्ष इसके लिए भी तैयार है. महाराष्ट्र विधिमंडल सचिवालय के पूर्व प्रधान सचिव अनंत कलसे भी मानते हैं कि विधानसभा की रूल बुक में विस अध्यक्ष का चुनाव गुप्त मतदान से कराए जाने का लिखित नियम है. अगर खुला मतदान होता है, तो नियम बदलना पड़ेगा. सरकार के पास बहुमत है, तो नियम बदला जा सकता है. हालांकि इसकी भी एक निश्चित प्रक्रिया है. देवेंद्र फडणवीस की अगुवाई में बीजेपी ने फ्लोर टेस्ट के दौरान ही संकेत दे दिया है कि वह शिवसेना नीत गठबंधन सरकार के समक्ष हर मामले में कड़ी चुनौती पेश करेगी. शनिवार को ही उद्धव ठाकरे के बहुमत हासिल करने से पहले देवेंद्र फडणवीस ने नियमों के विरुद्ध शपथ लेने और विस का विशेष सत्र नियमों के अनुरूप नहीं चलाने को लेकर तीखा हमला बोला था. ऐसे में जाहिर है कि विधानसभा अध्यक्ष के लिए खुला मतदान कराना शिवसेना की गठबंधन सरकार के लिए आसान नहीं होगा.
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पाटोले बनाम कथोरे
गौरतलब है कि विधानसभा अध्यक्ष के चुनाव में महाविकास आघाड़ी की तरफ से कांग्रेस के नाना पाटोले और बीजेपी की तरफ से किशन कथोरे मैदान में हैं. नाना पटोले बीजेपी के पूर्व सांसद है. यह वही नाना पटोले हैं, जिन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए आरोप लगाया था कि सांसदों संग बैठक में मोदी किसी को बोलने नहीं देते. यानी सीधे-सीधे उन्होंने मोदी पर तानाशाही का आरोप लगाते हुए सांसद पद से इस्तीफा दे कर बीजेपी छोड़ दी थी. इसके बाद वह कांग्रेस में शामिल हो गए थे. उनके मुकाबले बीजेपी ने मुरबाड के विधायक किशन कथोरे को विधानसभा अध्यक्ष के चुनाव में अपना उम्मीदवार बनाया है. किशन कथोरे पहले कांग्रेस में थे. दो बार कांग्रेस के विधायक रह चुके हैं. 2014 में वह बीजेपी में शामिल हो गए थे. विधानसभा अध्यक्ष पद के लिए नाम वापस लेने का समय रविवार सुबह 10 बजे तक का है. अगर बीजेपी उम्मीदवार ने अपना नाम वापस ले लिया, तो फिर महा विकास आघाड़ी के नाना पाटोले निर्विरोध निर्वाचित हो सकते हैं. वैसे भी महाराष्ट्र विधानसभा में अध्यक्ष का चुनाव निर्विरोध करने की भी परंपरा रही है, लेकिन इस बार स्थितियां सामान्य नहीं है. उद्धव ठाकरे के लिए इसी लिहाज से दूसरी परीक्षा का दिन रविवार होगा, जब उसे विधानसभा अध्यक्ष के लिए खुले मतदान की प्रक्रिया अपनानी होगी.
HIGHLIGHTS
- विधानसभा अध्यक्ष चुनाव के लिए ओपन वोटिंग की मांग करेगा सत्ता पक्ष.
- हालांकि इसके लिए बदलना पड़ सकता है विधानसभा का नियम.
- यहीं पेश आएगी चुनौती, क्योंकि बीजेपी करेगी जबर्दस्त विरोध.