आधार डेटा लीक की खबरों के बीच यूनिक आईडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया (यूआईडीएआई) ने इससे निपटने के लिए नया सुरक्षा कवच बनाया है। नई व्यवस्था में आधार कार्ड के 12 अंकों वाले नंबर के बदले अब एक वर्चुअल आईडी बनाई जाएगी।
इस वर्चुअल आईडी के जरिए आधार कार्ड धारकों को अपना असली 12 अंकों का आधार नंबर सत्यापन के लिए देने की ज़रुरत नहीं होगी। आधार कार्ड धारक वेबसाइट के ज़रिए जेनरेट कर सकते हैं और फिर सिम वेरिफिकेशन जैसी विभिन्न गतिविधियों के लिए दे सकते हैं।
क्या है व्यवस्था
इस व्यवस्था के बाद धारकों को अपना असली 12 अंकों वाला बायोमेट्रिक आईडी कार्ड देने की ज़रुरत नहीं होगी।
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वर्चुअल आईडी 16 अंकों का होगा। इसके साथ ही यह धारक के बॉयोमीट्रिक्स के साथ होगा जिससे किसी भी प्राधिकृत एजेंसी जैसे मोबाइल कंपनी, नाम, पता और फोटो जैसे सीमित विवरण देकर आसानी से सत्यापन हो जाएगा।
अधिकारियों ने बताया कि इसके बाद यूज़र्स जितने वर्चुअल आईडी बनाना चाहें बना सकते हैं। जैसे नही नया आईडी बनेगा वैसे ही पुराना वर्चुअल आईडी अपने-आप रद्द हो जाएगा।
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यूआईडीएआई ने साथ ही लिमिटेड केवाईसी का कॉन्सेप्ट भी पेश किया है। इसके तहत सिर्फ ज़रुरत के आधार पर धारक की कुछ ही जानकारियां उस एजेंसी या कंपनी को दी जाएंगी जो सेवाएं मुहैया करा रही है।
कब से होगा जारी
वर्चुअल आईडी एक तात्कालिक व्यवस्था है और यह 16 अंकों का नंबर है। यह वर्चुअल आईडी 1 मार्च 2018 से काम करना शुरु करेगा। 1 जून 2018 से सभी एजेंसियों के लिए ग्राहक की जानकारी के सत्यापन के लिए वर्चुअल आईडी स्वीकार करना ज़रुरी हो जाएगा।
क्या था विवाद
गौरतलब है कि हाल ही में आधार डेटा लीक होने की कई खबरें सामने आ रही थी। इसी बीच 'द ट्रिब्यून' में एक रिपोर्ट छपी थी जिसमें पत्रकार रचना खैड़ा ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया था कि कैसे पैसों के बदले आधार कार्ड की जानकारी आसानी से खरीदी जा सकती है।
इस रिपोर्ट के बाद यूनिक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया (यूआईडीएआई) ने अखबार और पत्रकार के खिलाफ एफआईआर तक दर्ज करवाई थी। इस एफआईआर में उन लोगों के भी नाम शामिल थे, जिन्होंने रिपोर्टर से डेटा बेचने की बात की थी।
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Source : News Nation Bureau