ब्रिटेन की कोर्ट ने कहा है कि 9000 करोड़ की धोखाधड़ी करने वाले शराब कारोबारी को 'कानून का भगोड़ा' माना दिया जा सकता है।
13 बैंको की याचिका पर माल्या के खातों को सील किये जाने के भारतीय कोर्ट के आदेश को जज ऐंड्र्यू हेंशॉ ने सही ठहराया था। उन्होंने इस बात को संज्ञान में लिया कि माल्या अपने प्रत्यर्पण के खिलाफ कोर्ट में केस लड़ रहे हैं।
जज ने कहा, 'इन परिस्थितियों में, यहां तक कि ये भी देखा जाए कि कथित मामले में माल्या अपने प्रत्यर्पण को लेकर केस लड़ रहे हैं, कई आधार हैं जिससे माल्या को कानून का भगोड़ा माना जा सकता है।'
हाई कोर्ट ने ये मानने से इनकार कर दिया कि माल्या 1988 से एनआरआई हैं और वो इंग्लैंड में 1992 से रह रहे हैं जहां उन्हें आईएलआर मिला हुआ है।
कोर्ट ने कहा, 'तथ्यों से मालूम चलता है कि मार्च 2016 से माल्या ने व्यापार और राजनीतिक कारणों से इंग्लैंड का दौरा किया है। उनके ज्यादातर व्यापारिक हित भारत में या भारते जुड़े हुए हैं। खास कर यूनाइटेड ब्रियुवरीज़ और किंगफिशर एयरलाइंस। जबकि माल्या को अनिश्चितकाल तक इंग्लैंड में रहने के लिये अनुमति है।'
जज ने कहा कि माल्या साफ तौर पर टीपू सुल्तान की तलवार के मामले में कर्नाटक कोर्ट के आदेश की अवहेलना कर रहे हैं।
जज ने कहा, 'टीपू सुल्तान की तलवार ऐतिहासिक महत्व की है जिसे माल्या ने 2003 में खरीदा था... लेकिन 2016 में उसे किसी को दे दिया गया क्योंकि उनके परिवार को लगता था कि वो उनके लिये अपशकुन ला रहा है।'
कोर्ट ने कहा, 'माल्या ने इस बात का खुलासा अपने पत्र में कभी नहीं किया कि वो तलवार उन्होंने किसे दी। वो कर्नाटक कोर्ट के आदेश की अवहेलना करने के आधार को साबित करने में असफल रहे हैं।'
हालांकि कोर्ट ने बैंकों की उस दलील पर विचार करने से इनकार कर दिया जिसमें उन्होंने माल्या की संपत्तियों के बारे में दी थी। कोर्ट ने कहा कि माल्या की कुछ संपत्तियों को लेकर संशय है ऐसे में उसे संज्ञान में लेना सही नहीं होगा।
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Source : News Nation Bureau