रूस और यूक्रेन के बीच लंबे समय से युद्ध जारी है. इसका गहरा प्रभाव विदेशी मेडिकल छात्र पर भी पड़ रहा है. जंग के दौरान स्वदेश लौटे 20 हजार मेडिकल छात्रों का भविष्य खतरे में नजर आ रहा है. बता दें अपने देश लौटने वाले इन सब छात्रों को एनएमसी यानी नेशनल मेडिकल कमीशन ने बड़ा झटका दिया है. राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग ने नियमों का हवाला देते विदेश से लौटे छात्रों को राहत देने से इनकार कर दिया है. यह जानकारी स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री भारती पवार ने दी है.
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री भारती प्रवीण पवार ने संसद को बताया कि विदेश मंत्रालय से मिली जानकारी के मुताबिक, करीब 20,000 भारतीय छात्र यूक्रेन से लौटे हैं. ये छात्र या तो विदेशी मेडिकल स्नातक स्क्रीनिंग टेस्ट विनियम, 2002 या विदेशी चिकित्सा स्नातक लाइसेंस विनियम, 2021" के तहत आते हैं. हाल ही में तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने रविवार को यूक्रेन से लौटे मेडिकल छात्रों के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से आवश्यक कदम उठाने का आग्रह किया है. उन्होंने पीएम मोदी को पत्र लिखकर इस मामले में तत्काल हस्तक्षेप की मांग की और इस संबंध में किए जाने वाले प्रयासों के लिए राज्य सरकार के पूर्ण सहयोग का आश्वासन दिया.
लोकसभा में कल्याण राज्यमंत्री ने दिया था जवाब
लोकसभा में इस सदंर्भ में पूछे गए एक सवाल के जवाब में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्यमंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) ने किसी भी विदेशी मेडिकल छात्रों को भारतीय चिकित्सा संस्थान या विश्वविद्यालय स्थानांतरित करने या समायोजित करने की कोई अनुमति नहीं दी गई है.
HIGHLIGHTS
- एनएमसी यानी नेशनल मेडिकल कमीशन ने बड़ा झटका दिया
- 20,000 भारतीय छात्र यूक्रेन से लौटे
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से आवश्यक कदम उठाने का आग्रह