भारत ने शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र की जम्मू-कश्मीर में कथित मानवाधिकार हनन की रपट को 'आधारहीन' करार दिया और कहा कि यह 'आराम की जगह' (कंफर्ट जोन) में बैठकर लिखी गई है।
संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंतोनियो गुटेरेस के कश्मीर में मानवाधिकार की स्थिति की अंतर्राष्ट्रीय जांच का समर्थन करने वाले बयान पर रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि उन्होंने इस तथ्य को नजरअंदाज किया है कि कैसे भारतीय सेना जम्मू एवं कश्मीर में प्रदर्शनकारियों से निपटने और आतंकवादियों से लड़ने में अधिकतम संयम बरतती है।
उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र मानवधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) आयुक्त जैद राद अल हुसैन ने 'कहीं और बैठकर तैयार की गई' अपनी रपट में इस तथ्य को नजरअंदाज किया है कि सुरक्षाबल आतंक पीड़ित लोगों को मानवीय सहायता मुहैया कराते हैं।
सीतारमण ने यहां कहा, 'बिना आधार के मूल्यांकन किए गए हैं। जमीनी स्तर पर क्या हो रहा है, अगर वह यह देख पाते..भारतीय सेना जम्मू एवं कश्मीर में आतंकवादियों और प्रदर्शनकारियों का सामना करने के दौरान अत्यधिक संयम (किसी भी सेना द्वारा बरते जाना वाला अधिकतम) बरतती है।'
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उन्होंने कहा, 'सेना ने वहां स्कूल बनाए हैं, लड़कों व लड़कियों को उच्च शिक्षा के लिए प्रशिक्षित किया है। युवाओं को देश के बाहर यात्रा करने के योग्य बनाया है। इस सभी चीजों को नजरअंदाज कर दिया गया।'
यह पूछने पर कि रपट (यूएनएचआरसी की) का गुटेरेस ने समर्थन किया है और संयुक्त राष्ट्र की आवाज बताया है, सीतारमण ने कहा कि भारत 'कंफर्ट जोन' में बैठकर लिखी गई रपट पर विश्व निकाय के प्रमुख से किसी और प्रतिक्रिया की अपेक्षा भी नहीं कर रहा था।
हुसैन ने अपनी रपट में जम्मू एवं कश्मीर में मानवाधिकारों के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए मानवाधिकार परिषद से इनकी जांच के लिए एक आयोग के गठन की सिफारिश की है। परिषद की बीते सप्ताह हुई बैठक में इस सिफारिश पर विचार नहीं किया गया।
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Source : IANS