मोदी सरकार अपने पहले टर्म में भले ही बेरोजगारी दर ज्यादा होने की बात को नकारती रही हो, लेकिन श्रम मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़े ने इसकी पुष्टि कर दी. कुछ महीने पहले लीक हुई एक रिपोर्ट में बताया गया था कि देश में बेरोजगारी दर 45 साल के ऊंचे स्तर पर है और सरकार ने उस रिपोर्ट को खारिज कर दिया था. मगर शुक्रवार को सरकार ने उसे स्वीकार कर लिया.
नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, देश में जुलाई 2017 से लेकर जून 2018 के दौरान एक साल में बेरोजगारी सचमुच 6.1 फीसदी बढ़ी. देश में शहरी बेरोजगारी की दर 7.8 फीसदी और ग्रामीण बेरोजगारी की दर 5.3 फीसदी रही है. इसके अलावा 6.2 फीसदी पुरुष और 5.7 फीसदी महिलाएं बेरोजगार हैं. इनमें युवाओं की बेरोजगारी दर सबसे ज्यादा थे. जिनकी संख्या 13% से 27% थी. 2011-12 में बेरोजगारी दर 2.2% थी.
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सरकार ने पहले लीक हुई आधिकारिक रिपोर्ट को खारिज करते हुए कहा था कि बेरोजगारी के आंकड़ों को अभी अंतिम रूप नहीं दिया गया है. केंद्र सरकार को महत्वपूर्ण समष्टिगत आंकड़ों को रोकने के लिए विपक्षी दलों के आरोपों को झेलना पड़ा था. विपक्ष का आरोप था कि सरकार अपनी नाकामयाबी को जानबूझकर छिपा रही है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूसरी बार गुरुवार को शपथ लेने के एक दिन बाद ये आधिकारिक आंकड़े जारी हुए हैं. आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, शहरी क्षेत्र में रोजगार की चाहत रखने वाले 7.8 फीसदी युवा बेरोजगार हैं, जबकि ग्रामीण क्षेत्र में यह आंकड़ा 5.3 फीसदी है.
बेरोजगारी दर का निर्धारण कुल कार्यबल में बेरोजगार व्यक्तियों की तादाद की गणना फीसदी में करके किया जाता है. देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की संवृद्धि दर वित्त वर्ष 2018-19 की चौथी तिमाही में 5.8 फीसदी रही जोकि पिछले पांच साल में सबसे कम है.
HIGHLIGHTS
- देश में बेरोजगारी दर बढ़कर 6.1 फीसदी हो गई है
- मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में बढ़ी बेरोजगारी दर
- ग्रामीण क्षेत्रों से ज्यादा शहरी क्षेत्र में रही बेरोजगारी दर
(इनपुट IANS के साथ)
Source : News Nation Bureau