अरुण जेटली की अनसुनी कहानियां, कभी NSUI कर रही थी उनका समर्थन

अरुण जेटली (Arun Jaitely) के बारे में कई अनसुनी कहानियां हैं, इनमें से कुछ ऐसी हैं जो सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं, जिन्‍हें पढ़कर आप भी कह उठेंगे वाह जेटली जी वाह!

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Drigraj Madheshia
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अरुण जेटली की अनसुनी कहानियां, कभी NSUI कर रही थी उनका समर्थन

1974 में अरुण जेटली डूसू के अध्यक्ष बने थे (File)

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भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली नहीं रहे. शनिवार को 66 वर्षीय अरुण जेटली ने दिल्ली के एम्स में आखिरी सांस ली. अरुण जेटली को सांस में तकलीफ के चलते 9 अगस्त को एम्स में भर्ती करवाया गया था. अरुण जेटली (Arun Jaitely) के बारे में कई अनसुनी कहानियां हैं, इनमें से कुछ ऐसी हैं जो सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं, जिन्‍हें पढ़कर आप भी कह उठेंगे वाह जेटली जी वाह!

पूरी फीस नहीं थी रजत शर्मा के पास और जेटली ने की मदद

सोशल मीडिया पर जेटली के बारे में एक कहानी चल रही है. फेसबुक यूजर रुद्र प्रताप पांडेय ने अपने वाल पर 10 अगस्‍त को जेटली और मशहूर पत्रकार रजत शर्मा के कॉलेज के दिनों का एक प्रसंग पोस्‍ट किया है. पोस्‍ट के मुताबिक रजत शर्मा के परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी. लेकिन पढ़ाई में अच्छे होने की वजह से इंटर के बाद उनका नाम श्रीराम कॉलेज में दाखिला वाली मेरिट लिस्ट में आ गया था.

तीन बार फटकार चुका था अकाउंटेंट

अरुण जेटली (Arun Jaitely)उस समय कॉलेज यूनियन के अध्यक्ष थे. कॉलेज के पहले दिन ही रजत लगातार इधर उधर दौड़ भाग कर रहे थे क्योंकि उनके पास पूरी फीस नहीं थी. देरी होने के कारण अकाउंटेंट उन्हें तीन बार फटकार चुका था. जब किसी तरह उन्होंने फीस दी भी तो उसमें 4 रुपए कम थे तो अकाउंटेंट एक बार फिर जोर से चिल्लाया. उसी समय अरुण जेटली (Arun Jaitely)वहां आए और अकाउंटेंट को जोर से डांटा, कहा- फ्रेशर से ऐसे कैसे बात कर सकते हो. अरुण ने फीस पूरी करने के लिए जेब से 4 रुपए निकालकर रजत शर्मा को दिए. फिर कंधे पर हाथ रखकर बोले- तुम्हारे पास तो चाय के लिए भी पैसे नहीं होंगे, चलो तुम्हें चाय पिलाता हूँ.

1974 में वे कांग्रेस के प्रत्याशी भी हो सकते थे

डीयू में वर्ष 1974 में छात्रसंघ के पहले सीधे चुनाव संपन्न हुए. अब तक जेटली अध्यक्ष पद के प्रत्याशी के सबसे प्रबल दावेदार बन चुके थे लेकिन यह स्पष्ट नहीं था कि वह किस पार्टी से चुनाव लड़ेंगे. सभी मानते थे कि जेटली का जीतना लगभग तय था चाहे वह किसी भी पार्टी से चुनाव लड़ें.

मशहूर पत्रकार प्रभू चावला उस वक़्त विद्यार्थी परिषद् के दिल्ली प्रमुख थे, उन्होंने जेटली को टिकट देने के लिए संघ को मनाने में तीन दिन लगाया. विद्यार्थी परिषद ने जेटली को टिकट थमा दिया. हालांकि जेटली का समर्थन करने वाली एनएसयूआई इस घोषणा को सुनकर अचंभित रह गई थी. कुछ नेता कहते हैं कि जेटली भले ही आज इस बात को नकार दें, लेकिन 1974 में वे कांग्रेस के प्रत्याशी भी हो सकते थे.

Source : Drigraj Madheshia

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