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आम बजट से इस बार भी मायूस हैं बुंदेले किसान

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को सभी चार लोकसभा और उन्नीस विधानसभा सीटें जिताने के बाद भी विदर्भ से भी बदतर हालात से गुजर रहे बुंदेलखंड के किसानों को इस आम बजट में अलग से कोई तरजीह नहीं दी गई।

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sankalp thakur
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आम बजट से इस बार भी मायूस हैं बुंदेले किसान
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केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली द्वारा गुरुवार को लोकसभा में पेश किए गए राजग सरकार के अंतिम आम बजट में उत्तर प्रदेश के हिस्से वाले बुंदेलखंड के किसानों के लिए फिल्म 'बेवफा सनम' का गीत 'अच्छा सिला दिया तूने मेरे प्यार का, यार ने ही लूट लिया घर यार का' बेहद सटीक बैठ रहा है।

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को सभी चार लोकसभा और उन्नीस विधानसभा सीटें जिताने के बाद भी विदर्भ से भी बदतर हालात से गुजर रहे बुंदेलखंड के किसानों को इस आम बजट में अलग से कोई तरजीह नहीं दी गई।

उत्तर प्रदेश के हिस्से वाले बुंदेलखंड के सभी सात जिलों बांदा, चित्रकूट, महोबा, हमीरपुर, जालौन, झांसी और ललितपुर में चार लोकसभा और उन्नीस विधानसभा सीटें हैं और पिछले चुनावों में यहां के किसानों ने सभी सीटें भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की झोली में डाल दी है।

झांसी से सांसद उमा भारती केंद्र में मंत्री भी हैं। 'कर्ज' और 'मर्ज' की मार झेल रहे बुंदेली किसानों को गुरुवार को लोकभा में पेश किए गए अंतिम आम बजट में अलग से कोई प्रावधान किए जाने की भारी उम्मीद थी, लेकिन निराशा ही हाथ लगी है।

सिंचाई, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं के अलावा किसानों के लिए अन्ना (आवारा) जानवर किसानों के लिए किसी प्राकृतिक आपदा से कम नहीं है। पिछले तीन दशकों से सूखा और बाढ़ के अलावा अन्ना मवेशियों द्वारा फसलें चट करने से यहां के किसान के हालात महाराष्ट्र के विदर्भ से भी ज्यादा बदतर हो गए हैं।

जलपुरुष के नाम से देश में चर्चित राजेंद्र सिंह के शिष्य और महात्मा गांधी आवार्ड से पुरष्कृत सामाजिक कार्यकर्ता सुरेश रैकवार इस आम बजट में बुंदेलखंड अलग से कुछ न किए जाने पर बेहद निराश हैं।

उन्होंने बताया कि 'साल 2010-11 बुंदेलखंड के किसानों की बदहाली जानने आई केन्द्रीय समिति ने अपनी एक रिपोर्ट में यूपी के बुंदेलखंड के लिए 3,844 करोड़ रुपये के पैकेज की दिए जाने की अनुसंसा करते हुए यहां केंद्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना, बेतवा नदी में बांध का निर्माण, उद्योगों की स्थापना के लिए सेंट्रल एक्साइज, आयकर एक्साइज एवं कस्टम, तथा सर्विसेज टैक्स में शत प्रतिशत की छूट देकर संतुलित विकास कराने की सिफारिश की थी।'

उन्होंने बताया कि 'केंद्रीय समिति (जिसमें जल संसाधन विभाग, नेशनल रैन पेड एरिया एथॉरिटी के सीईओ, केंद्रीय ग्रामीण विकास विभाग, पशुपालन विभाग और कृषि एवं सहकारिता विभाग के प्रतिनिधि शामिल थे) ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि झांसी से 5 लाख 58 हजार 377, ललितपुर से 3 लाख 81 हजार 316, बांदा से 7 लाख 37 हजार 920, महोबा में 2 लाख 97 हजार 547, हमीरपुर से 4 लाख 17 हजार 489, चित्रकूट से 3 लाख 44 हजार 801 और जालौन से 5 लाख 38 हजार 147 किसान 'पलायन' कर चुके हैं।'

रैकवार ने बताया कि 'केंद्रीय समिति की यह रिपोर्ट आज भी प्रधानमंत्री कार्यालय में मौजूद है, जो बुंदेलखंड के बदहाल किानों की कहानी बयां कर रही है, फिर भी किसानों की दोगुना आय का दंभ भरने वाली मोदी सरकार ने अपने अंतिम बजट में अनदेखी की है। यहां के संतुलित विकास के लिए बजट में अलग से प्राविधान किए जाने की जरूरत थी।

वामपंथी विचारधारा के बुजुर्ग अधिवक्ता और बांदा अधिवक्ता संघ के पूर्व अध्यक्ष रणवीर सिंह चौहान भी यहां के किसानों के लिए बजट में अलग से कुछ 'उल्लेख' न किए जाने से हतप्रभ हैं। उनका कहना है कि 'प्राकृतिक आपदा के आलावा यहां अन्ना (आवारा) मवेशी किसानों के लिए सबसे बड़ी मुसीबत हैं। सिर्फ बांदा जिले में दो लाख से ज्यादा अन्ना मवेशी विचरण कर रहे है, जो रात में किसानों की फसल चटकर देते हैं।

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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी अपने झांसी दौरे में इन मवेशियों से छुटकारा दिलाने का भरोसा दिया था, लेकिन धरातल में कुछ नहीं हुआ। वे कहते हैं कि 'कम से कम बजट में ही किसानों की सुधि ले ली जाती तो बेहतर था।' इन्होंने केंद्र सरकार के इस बजट को पूंजीपतियों का समर्थक बताया।

इन सबके इतर, बांदा-चित्रकूट के भाजपा सांसद भैरों प्रसाद मिश्रा ने कहा कि 'केंद्रीय बजट हर वर्ग के लिए फायदेमंद है, रही बात बुंदेलखंड के विकास की तो बुधवार को बांदा व चित्रकूट के पांच विधायकों के साथ मुख्यमंत्री योगी से उनके सरकारी कार्यालय में मुलाकात कर समस्याएं रखी गई हैं, उन्होंने निस्तारण का भी भरोसा दिया है।'

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Source : IANS

Bundelkhand Union Budget 2018
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