केंद्रीय मंत्रिमंडल ने नए वेतन विधेयक (नए वेज कोड बिल) को मंजूरी दे दी है। इससे श्रम क्षेत्र से जुड़े चार कानूनों को एकीकृत कर सभी क्षेत्रों के लिए न्यूनतम वेतन सुनिश्चित हो सकेगा। प्रस्तावित विधेयक के पारित होने से देश के चार करोड़ से अधिक कर्मचारियों को लाभ मिलने की उम्मीद है।
बताया जा रहा है कि वेतन लेबर कोड बिल में न्यूनतम मजदूरी अधिनियम 1948, वेतन भुगतान कानून 1936, बोनस भुगतान अधिनियम 1965 और समान पारिश्रमिक अधिनियम 1976 को एक साथ जोड़ा गया है।
बिल के ड्राफ्ट को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली केंद्रीय कैबिनेट द्वारा मंजूरी दी गई है।
इस विधेयक में केंद्र सरकार को सभी क्षेत्रों के कर्मचारियों के लिए न्यूनतम वेतन निर्धारित करने का अधिकार देने की बात कही गई है। साथ ही उसके फैसले को सभी राज्यों को मानना होगा।
हालांकि, केंद्र सरकार द्वारा तय की गई न्यूनतम मजदूरी से अगर राज्य सरकारें संतुष्ट नहीं है और उसे बढ़ाना चाहती है तो अपने-अपने क्षेत्र के हिसाब से बढ़ा सकती हैं।इस बिल को 11 अगस्त को समाप्त हो रहे मानसून सत्र के दौरान संसद में पेश किया जाएगा।
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नए न्यूनतम मजदूरी मानदंड सभी कर्मचारियों पर लागू होगा। फिलहाल केंद्र और राज्य का निर्धारित न्यूनतम वेतन उन कर्मचारियों पर लागू होता है, जिन्हें मासिक 18,000 रुपए तक वेतन मिलता है।
वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार सभी उद्योगों के श्रमिकों के लिए एक न्यूनतम वेतन तय हो सकेगा।इसमें वो भी शामिल हो जाएंगे, जिन्हें 18,000 रुपए से अधिक वेतन मिलता है।
श्रम मंत्री बंडारु दत्तात्रेय ने राज्यसभा को लिखित जवाब दिया कि श्रमिकों पर द्वितीय राष्ट्रीय आयोग ने सिफारिश की है कि मौजूदा मजदूर कानूनों को व्यापक रूप से कामकाज के आधार पर चार या पांच लेबर कोड्स में बांटा जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि मंत्रालय मजदूरी पर चार लेबर कोड्स को ड्राफ्ट करने वाला है, जिसमें औद्योगिक संबंध, सामाजिक सुरक्षा, कल्याण और सुरक्षा, और कामकाजी परिस्थितिया, शामिल हैं।
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Source : News Nation Bureau