केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंगलवार को संसद में चिट फंड (संशोधन) विधेयक को पेश करने की मंजूरी दे दी है। 2016 के बाद से केंद्र सरकार एक मसौदा तैयार करने की प्रक्रिया में थी जिसके तहत एक केंद्रीय कानून का गठन कर चिट फंड योजनाओं में निवेश करने वाले लोगों की आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित की जाए।
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 2017-18 के बजट में घोषणा की थी कि सरकार 'मल्टी-स्टेट कोऑपरेटिव एक्ट' में संशोधन करेगी।
जेटली ने कहा था कि गरीबों को गैरकानूनी संस्थाओं द्वारा संचालित संदेहास्पद चिट फंड योजनाओं से सुरक्षित करने की तत्काल जरूरत है।
चिट फंड्स एक्ट, 1982 में प्रस्तावित संशोधनों में फोरमैन के कमीशन की अधिकतम सीमा को 5% से 7% करने, चिट व्यवसाय में 'प्राइज चिट' की जगह 'फ्रैटर्निटी फंड (बन्धुत्व निधि)' शब्द का प्रयोग करने, किसी भी प्रस्ताव में कम से कम दो ग्राहकों को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से मौजूद रहने अनुमति देने, जिसे फोरमैन द्वारा रिकॉर्ड किया जाए को शामिल किया गया है।
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इसके अलावा, प्रस्तावित विधेयक में फोरमैन को उपभोक्ताओं के बकाए के राशि को चुकाने का अधिकार देने की अनुमति भी देने को कहा गया है।
इस प्रस्तावित संशोधन विधेयक के सबसे महत्वपूर्ण पहलू में चिट फंड अधिनियम 1982 बनाने के समय एक सौ रुपये की अधिकतम सीमा को हटाने का प्रावधान शामिल था, जिस कारण इसकी प्रासंगिकता खत्म हो जाएगी।
संशोधन में राज्य सरकारों को इसकी अधिकतम सीमा को निर्धारित करने और इसे समय-समय पर बढ़ाने की अनुमति देने का प्रस्ताव है। यह माना जा रहा है कि प्रस्तावित संशोधनो के जरिए चिट फंड उद्योग को व्यवस्तिथ विकास मिलेगा और बाधाओं को दूर किया जो सकेगा।
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Source : News Nation Bureau