केंद्रीय मंत्रिमंडल ने उपराज्यपाल को और अधिक अधिकार देने के लिए दिल्ली सरकार के एनसीटी अधिनियम में संशोधन को मंजूरी दी है. सूत्रों ने बताया है कि गवर्नमेंट ऑफ एनसीटी दिल्ली ऐक्ट में कुछ संशोधन कर निर्वाचित सरकार को तय समय में ही उपराज्यपाल के पास विधायी और प्रशासनिक प्रस्ताव भेजने का प्रावधान भी है. सूत्रों ने बताया कि इनमें उन विषयों का भी उल्लेख है, जो विधानसभा के दायरे से बाहर आते हैं.
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सूत्रों ने बताया है कि केंद्र सरकार की ओर से एलजी के अधिकार को बढ़ाने वाले बिल को इसी सत्र में पारित कराने के लिए सूचीबद्ध किया गया है. सूत्रों के मुताबिक, दिल्ली की सरकार और उपराज्यपाल के बीच टकराव को कम करने और गवर्नेंस को बेहतर करने के उद्देश्य से ये बिल लाया जा रहा है. इस संशोधन के अनुसार, अब उपराज्यपाल के पास विधायी प्रस्ताव कम से कम 15 दिन पहले, जबकि प्रशासनिक प्रस्ताव 7 दिन पहले पहुंचाने होंगे.
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राष्ट्रीय राजधानी में सरकार और उपराज्यपाल के अधिकारों के बंटवारे को लेकर सुप्रीम कोर्ट के जनवरी 2019 के फैसले के बाद स्थिति स्पष्ट करने की जरूरत पड़ी है. बता दें कि राष्ट्रीय राजधानी के केंद्र शासित प्रदेश होने के चलते दिल्ली के उपराज्यपाल को कई अधिकार मिले हैं. हालांकि इन अधिकारों को लेकर कई बार दिल्ली की केजरीवाल सरकार विरोध कर चुकी है. यह मसला सुप्रीम कोर्ट भी पहुंचा था. जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने सरकार और उपराज्यपाल के अधिकारों को तय किया था. हालांकि फिर भी कई बार उपराज्यपाल और सरकार आमने-सामने आते रहे हैं.
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बीते दिनों दिल्ली दंगों के मामलों में वकील को तय करने को लेकर भी उपराज्यपाल और दिल्ली सरकार में टकराव की स्थिति पैदा हो गई है. इससे पहले दिल्ली के अस्पतालों में बाहरियों के इलाज पर सरकार ने रोक लगाई थी, मगर उपराज्यपाल ने इस फैसले को पलट दिया था. इसके अलावा भी कई मुद्दों पर एलजी और सरकार के बीच टकराव की स्थिति देखी जा चुकी है.
Source : dalchand