केंद्रीय मंत्रिमंडल विस्तार और फेरबदल के बाद सबसे पहले सरकार (Modi Government) ने कैबिनेट की बैठक बुलाई थी. इस मीटिंग में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नए व पुराने मंत्रियों के साथ विस्तार से बातचीत की. इसके बाद प्रधानमंत्री मोदी (PM Modi) के साथ केंद्रीय मंत्रिपरिषद की बैठक जारी है. यह बैठक वर्चुअल तरीके से हो रही है. इसमें पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) मंत्रियों को नसीहत दे रहे हैं. आपको बता दें कि मोदी कैबिनेट में 36 नए चेहरे शामिल हुए हैं, जबकि 7 वर्तमान राज्यमंत्रियों को प्रमोशन दिया गया है.
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केंद्रीय मंत्रिमंडल में फेरबदल के एक दिन बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंत्रियों के नए बैच के साथ काम करना शुरू कर दिया है. इस बीच उन्होंने गुरुवार को आईआईटी बॉम्बे, आईआईटी मद्रास, आईआईटी कानपुर और आईआईएससी बैंगलोर जैसे केंद्रीय वित्त पोषित तकनीकी संस्थानों के निदेशकों के साथ भी बातचीत की. इस वर्चुअल बातचीत में नए शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और शिक्षा राज्य मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने भी हिस्सा लिया. इस बातचीत में 100 से अधिक संस्थानों के प्रमुख प्रधानमंत्री के साथ शामिल हुए.
प्रधानमंत्री ने कोविड के कारण पैदा हुई चुनौतियों का सामना करने की दिशा में इन संस्थानों द्वारा किए गए अनुसंधान एवं विकास कार्यों की सराहना की. उन्होंने तुरंत प्रौद्योगिकी समाधान उपलब्ध कराने की दिशा में युवा इनोवेटर्स के प्रयासों की भी सराहना की. प्रधानमंत्री ने कहा कि बदलते परिवेश और उभरती चुनौतियों के साथ तालमेल रखने के लिए उच्चशिक्षा और तकनीकी शिक्षा को अपनाने की जरूरत है. इसके लिए संस्थानों को देश और समाज की वर्तमान और भविष्य की जरूरतों के अनुसार वैकल्पिक और नवाचारी मॉडल विकसित करने तथा नयापन लाने और स्वयं का पुनर्मूल्यांकन करने की आवश्यकता है.
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि हमारे उच्च शिक्षण और तकनीकी संस्थानों को चौथी औद्योगिक क्रांति को ध्यान में रखते हुए युवाओं को लगातार व्यवधानों और परिवर्तन के लिए तैयार करने की आवश्यकता है. प्रधानमंत्री ने ऐसे शिक्षा मॉडल की दिशा में प्रगति करने की आवश्यकता पर जोर दिया जो लचीले, निर्बाध और शिक्षार्थियों की आवश्यकताओं के अनुसार शिक्षण के अवसर प्रदान करने में सक्षम हों। उन्होंने कहा कि पहुंच, सामथ्र्य, समानता और गुणवत्ता ऐसे शैक्षिक मॉडलों के प्रमुख मूल्य होने चाहिए.
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प्रधानमंत्री ने पिछले कुछ वर्षों के दौरान उच्च शिक्षा में सकल नामांकन अनुपात (जीईआर) में आए सुधार की सराहना करते हुए इस बात पर जोर दिया कि उच्च शिक्षा का डिजिटलीकरण जीईआर को बढ़ाने में एक बड़ी भूमिका निभा सकता है. इससे छात्रों को अच्छी गुणवत्ता और सस्ती शिक्षा तक आसान पहुंच उपलब्ध होगी.
प्रधानमंत्री ने ऑनलाइन स्नातक और मास्टर डिग्री कार्यक्रमों जैसे डिजिटलीकरण को बढ़ाने के लिए संस्थानों द्वारा की गई विभिन्न पहलों की सराहना की. उन्होंने यह भी कहा कि हमें भारतीय भाषाओं में प्रौद्योगिकीय शिक्षा का इकोसिस्टम विकसित करने और वैश्विक पत्रिकाओं का क्षेत्रीय भाषाओं में अनुवाद करने की जरूरत है.
प्रधानमंत्री ने कहा कि आने वाले 25 वर्षों में जब हम स्वतंत्रता के 100 वर्ष पूरे होने का आयोजन करेंगे. आत्मनिर्भर भारत अभियान, भारत के सपनों और आकांक्षाओं का आधार बनेगा. उन्होंने कहा कि आगामी दशक में प्रौद्योगिकीय और अनुसंधान एवं विकास संस्थान प्रमुख भूमिका निभाएंगे. इस दशक को इंडियाज टेकेड भी कहा जा रहा है.
प्रधानमंत्री ने कहा कि हमें शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, कृषि, रक्षा और साइबर प्रौद्योगिकियों के क्षेत्र में भविष्य के समाधान विकसित करने पर ध्यान देने की जरूरत है. उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि उच्च शिक्षण संस्थानों में अच्छी गुणवत्ता का बुनियादी ढांचा उपलब्ध होना चाहिए, ताकि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, स्मार्ट वियरेबल, ऑगमेंटेड रियलिटी सिस्टम और डिजिटल असिस्टेंट से जुड़े उत्पाद की आम आदमी तक पहुंच सुनिश्चित हो सके. उन्होंने कहा कि हमें सस्ती, व्यक्तिगत और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस संचालित शिक्षा पर ध्यान देना चाहिए.
बातचीत के दौरान आईआईएससी बैंगलोर के प्रोफेसर गोविंदन रंगराजन, आईआईटी बंबई के प्रोफेसर सुभासिस चौधरी, आईआईटी मद्रास के प्रोफेसर भास्कर राममूर्ति और आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर अभय करंदीकर ने प्रधानमंत्री को प्रस्तुतियां दीं और उन्हें चल रही विभिन्न परियोजनाओं, शैक्षणिक कार्यों और देश में किए जा रहे नए शोध से भी अवगत कराया.
प्रधानमंत्री मोदी को कोविड से संबंधित अनुसंधान के बारे में भी अवगत कराया गया, जिसमें परीक्षण के लिए नई तकनीक विकसित करना, कोविड वैक्सीन के विकास प्रयास विकास, स्वदेशी ऑक्सीजन कंस्ट्रेंटर्स, ऑक्सीजन जनरेटर, कैंसर सेल थेरेपी, मॉड्यूलर अस्पताल, हॉटस्पॉट पूवार्नुमान, वेंटिलेटर, रोबोटिक्स, ड्रोन, ऑनलाइन शिक्षा, बैटरी प्रौद्योगिकी के क्षेत्र भी शामिल हैं. प्रधानमंत्री को उन नए शैक्षणिक पाठ्यक्रमों, विशेष रूप से ऑनलाइन पाठ्यक्रमों के बारे में भी बताया गया, जो अर्थव्यवस्था और प्रौद्योगिकी की बदलती प्रकृति के अनुसार विकसित किए जा रहे हैं.