केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आज यानी गुरुवार को राज्यसभा में नए आपराधिक कानूनों पर सरकार का पक्ष रखा. अमित शाह ने कहा कि नए आपराधिक कानूनों के लागू होने से 'तारीख पे तारीख' युग का अंत सुनिश्चित होगा और तीन साल में न्याय मिलेगा. हमने वादा किया था, इस देश की मातृशक्ति को नीति निर्धारण में हम उचित सम्मान देंगे. 33 प्रतिशत आरक्षण विधानमंडलों और लोकसभा में देकर आजादी के 75 वर्ष बाद इस देश की मातृशक्ति का सम्मान श्री नरेन्द्र मोदी सरकार ने किया.
हमने राजद्रोह के अंग्रेजी कांसेप्ट को समाप्त कर दिया
राज्यसभा में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि आपकी (विपक्ष) फितरत है, आप चुनाव घोषणा पत्र को घोषणा पत्र मानते हैं, हम उसे संकल्प पत्र मानते हैं. आपका इतिहास है, बोलकर भूल जाना, हमारा इतिहास है... मोदी जी जो कहते हैं पूरा करते हैं. हमने राजद्रोह के अंग्रेजी कांसेप्ट को समाप्त कर दिया है. अब शासन के खिलाफ कोई भी बोल सकता, क्योंकि सभी को वाणी स्वतंत्रता का अधिकार है. लेकिन देश के खिलाफ आप नहीं बोल सकते हो, देश के खिलाफ बोलोगे, देश के संसाधनों का नुकसान करोगे तो कठोर से कठोर सजा मिलेगी.
वो कहते हैं, नए कानून की जरूरत क्या है?
अमित शाह ने आगे कहा कि वो कहते हैं, नए कानून की जरूरत क्या है? उन्हें स्वराज का मतलब ही नहीं मालूम है. स्व शब्द सिर्फ शासन से जुड़ा हुआ नहीं है। स्वराज मतलब है- जो धर्म को आगे बढ़ाए वह स्वराज है. जो स्व भाषा को आगे बढ़ाए वह स्वराज है. जो स्व संस्कृति को आगे बढ़ाए वह स्वराज है. जो स्व शासन को आगे बढ़ाए वह स्वराज है. हमने सिर्फ कानूनों के नाम नहीं बदले हैं, उसके उद्देश्य के अंदर अमूल चूल परिवर्तन भी किया गया है. उन्होंने कहा कि जिन तीनों बिलों को मैं लेकर आया हूं, उनका उद्देश्य दंड देने का नहीं है, न्याय देने का है.
आईपीसी और सीआरपीसी को लेकर कही यह बात
भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम... इन तीनों कानूनों को 1957 के स्वतंत्रता संग्राम के बाद अंग्रेजों के शासन की रक्षा के लिए बनाया गया था. जिसका उद्देश्य सिर्फ और सिर्फ अंग्रेजों के शासन की सुरक्षा करना था. इसमें कहीं भारत के नागरिक की सुरक्षा, उसके सम्मान और मानव अधिकार की सुरक्षा कहीं नहीं थी.
Source : News Nation Bureau