राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र सहित देश के कई शहरों में वायु प्रदूषण की गंभीर स्थिति पर विभिन्न दलों द्वारा चिंता जताए जाने के बीच पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बृहस्पतिवार को राज्यसभा में कहा कि इस समस्या पर काबू के लिए सरकार द्वारा विभिन्न कदम उठाए गए हैं और उसका असर भी हुआ है लेकिन वह पर्याप्त नहीं है. उन्होंने कहा कि प्रदूषण पर काबू के लिए कोई ‘‘शार्ट-कट’’ तरीका नहीं है और इसके लिए सतत प्रयास करना होगा. उन्होंने हालांकि कहा कि सरकार काम करके जल्दी ही प्रदूषण की समस्या को खत्म करेगी. जावड़ेकर ने इस दिशा में सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की चर्चा करते हुए कहा कि हर शहर की समस्या के अलग अलग कारण हैं और उन्हें किसी एक तरीके से हल नहीं किया जा सकता. उन्होंने कहा कि दिल्ली और एनसीआर में वायु प्रदूषण के प्रबंधन के लिए सरकार ने कारणों पर आधारित दृष्टिकोण अपनाया है.
उन्होंने कहा कि वायु प्रदूषण के कारणों में औद्योगिक उत्सर्जन, वाहन जनित उत्सर्जन, सड़क और मिट्टी की धूल, निर्माण और विध्वंस गतिविधियां, बायोमास और कचरा जलाना शामिल हैं. वाहनों से होने वाले प्रदूषण का जिक्र करते हुए जावड़ेकर ने कहा कि एक अप्रैल 2020 से ईंधन के साथ साथ वाहनों में बीएस-6 मानक लागू किए जाएंगे. उन्होंने कहा कि सड़कों पर भीड़ को कम करने के लिए सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देना और सड़कों में सुधार करने पर भी जोर दिया गया है. उन्होंने पौधारोपण पर जोर देते हुए कहा कि सभी सदस्यों की ऐसी ही राय थी.
उन्होंने स्कूलों में नर्सरी कार्यक्रम सहित विभिन्न कार्यक्रमों का जिक्र करते हुए कहा कि इस संबंध में जन आंदोलन बनाने की जरूरत है. वह दिल्ली सहित देश भर में वायु प्रदूषण के खतरनाक स्तरों के कारण उत्पन्न होने वाली स्थिति पर ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पर बोल रहे थे. जावडेकर ने कहा कि दुनिया के सिर्फ दो ही देशों भारत और चीन में हरित क्षेत्र में वृद्धि हुयी है. उन्होंने कहा कि प्रदूषण पर काबू के लिए हम सब से जो प्रयास हो सकता है, करना चाहिए.
उन्होंने देश के विभिन्न शहरों के वायु गुणवत्ता सूचकांक का जिक्र करते हुए कहा कि कई शहरों में यह 300 से ज्यादा है तो कई शहरों में यह 60 से भी कम है. उन्होंने कहा कि सरकार ने वायु प्रदूषण की समस्या का व्यापक तरीके से हल करने के लिए जनवरी 2019 में राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम शुरू किया है. इसमें 2017 को आधार वर्ष मानते हुए 2024 तक पीएम10 और पीएम2.5 को 20 से 30 प्रतिशत तक कम करने का लक्ष्य रखा गया है. पर्यावरण मंत्री ने कहा कि केंद्र में विभिन्न समितियों का भी गठन किया गया है और राज्यों को अपने स्तर पर ऐसी समितियां गठित करने को कहा गया है.
Source : भाषा