केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री जनरल वीके सिंह ने राफेल डील को लेकर कांग्रेस पार्टी पर पलटवार करते हुए कहा कि इस डील को बोफोर्स घोटाले की तरह एक माहौल बनाने की कोशिश की गई. रविवार को वीके सिंह ने देहरादून में एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने राफेल डील के खिलाफ याचिका के सारे तथ्यों को खारिज कर दिया जिसमें डील की कीमत, निर्णय की प्रक्रिया शामिल है.
उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने ऑफसेट पार्टनर को लेकर माहौल बनाने की कोशिश की. उन्होंने कहा, 'सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इनके अंदर कोई गलती नहीं है और जांच की ज़रूरत नहीं है. राफेल का सौदा 2007 से चल रहा था. डील तब भी पक्की नहीं हुई, इसमें मौजूदा सरकार की क्या गलती रही.'
उन्होंने राहुल गांधी को झूठों का सरताज संबोधित करते हुए कहा कि कांग्रेस ने अपनी गलतियों पर पर्दा डालते हुए बीजेपी पर थोपने की कोशिश की. राहुल गांधी की मंशा सिर्फ झूठ के आधार पर राजनीति करने का है.
सिंह ने कहा, 'देश की सुरक्षा की जिम्मेदारी हर एक राजनीतिक पार्टी की है, सिर्फ एक पार्टी की नहीं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कीमत के मामले में ये कीमत ज्यादा अच्छी है. उन्होंने कहा, 'हम ये जानना चाहते है राहुल की जानकारी का स्रोत क्या था. कहां से उन्होंने ये जानकारी हासिल की.
उन्होंने कहा कि 2007 से 2014 में वायु सेना की मारक क्षमता कम हुई जिसकी वजह कांग्रेस है. केंद्र सरकार ने सरकार से सरकार की डील की है क्या विपक्ष इसको नहीं मानता. जबकि इसमें कोई बिचौलियापन नहीं था.
इसके अलावा रविवार को पीएम मोदी ने राफेल डील पर सुप्रीम कोर्ट में याचिका खारिज होने के बाद कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि, कुछ लोग सिर्फ झूठ स्वीकार करते हैं और झूठ बोलते हैं. उनके लिए देश का रक्षा मंत्रालय, रक्षा मंत्री, वायु सेना अधिकारी झूठे हैं. फ्रांस सरकार भी झूठी है. अब, देश का सर्वोच्च न्यायालय भी उनके लिए झूठा है.
सुप्रीम कोर्ट ने याचिका खारिज की थी
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को राफेल डील की अदालत की निगरानी में जांच संबंधी याचिकाओं को खारिज करते हुए कहा था कि इस सौदे की प्रक्रिया में कुछ भी संदेहजनक नहीं है. वायुसेना के वरिष्ठ अधिकारियों से चर्चा का उल्लेख करते हुए चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस संजय कृष्णन कौल और जस्टिस के.एम.जोसेफ की पीठ ने कहा था, 'हम संतुष्ट हैं, इस सौदे में संदेह की कोई गुंजाइश नहीं है.'
अदालत ने कहा था कि विमानों की कीमत और राफेल विनिर्माण कंपनी दसॉ द्वारा ऑफसेट साझेदार चुनने की उनकी पसंद पर सवाल करना अदालत का काम नहीं है और पीठ को इस मामले में कुछ भी संदेहजनक नहीं लगा.
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा था कि रक्षा सौदे मामले में हस्तक्षेप का उन्हें कई कारण नजर नहीं आता. अदालत में दायर इन चारों याचिकाओं में 36 राफेल लड़ाकू विमान सौदे की अदालत की निगरानी में जांच की मांग की गई थी.
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Source : News Nation Bureau