जब कभी हम आपस में तानाशाही और क्रूरता के बारे में चर्चा करते हैं तो सबसे पहले हमारे दिमाग में एक ही नाम कौंध जाता है 'हिटलर' का, भला हम हिटलर को कैसे भूल सकते हैं. स्कूल के दिनों से लेकर हम आज भी इस नाम को भुला नहीं पाते. जर्मन तानाशाह अडोल्फ हिटलर का जन्म 20 अप्रैल 1889 को आस्ट्रिया में हुआ था. एडोल्फ हिटलर की मां क्लार हिटलर उनके जन्म के पहले गर्भपात करवाना चाहती थीं, लेकिन डाक्टरों ने उन्हें आखिरी मौके पर मना कर दिया अन्यथा ये तानाशाह दुनिया में ही न आ पाता. हिटलर बचपन से ही पढ़ाई में अच्छा नहीं था, जिसकी वजह से वो कॉलेज नहीं जा पाए और फिर पेंटिंग में हाथ आजमाया जिसके बाद राजनीति में भी आगे बढ़े. आज अडोल्फ हिटलर के जन्मदिन पर हम आपको उनकी जिंदगी की कुछ दिलचस्प किस्से आपको बताएंगे. जिनमें वो किसी को हीरो दिखाई देता है तो किसी को विलेन.
'चार्ली चैपलिन' का बड़ा फैन था हिटलर
हिटलर उस समय के मूक कामेडी एक्टर चार्ली चैपलिन का बहुत बड़ा फैन था. तभी वो चार्ली चैपलिन की तरह की मूंछे रखता था. हिटलर की मूंछों को टूथब्रश मूंछें कहा जाता था. हम इस बात इनकार नहीं कर सकते कि एडोल्फ हिटलर 20 वीं सदी का सबसे क्रूर तानाशाह था. प्रथम विश्व युद्ध के बाद 1933 में वह समाजवादी जर्मन वर्कर्स पार्टी को सत्ता में लाने के बाद उसने जर्मन सरकार पर अधिपत्य कर लिया था.
बचपन से ही यहूदियों से थी घृणा
एडोल्फ हिटलर को बचपन से ही यहूदियों से घृणा थी. हिटलर बहुत पढ़ा लिखा नहीं था, लेकिन उसके विचार और क्रियाकलाप बहुत कुछ रूढ़िवादी एंटी सिमिटिक साहित्य से मिलते थे जो उस समय यह पढ़ाया करता था कि यहूदी सभी तरह कि बुराइयों की लिए ज़िम्मेदार थे. हिटलर का यहूदियों से घृणा करने के कुछ और भी कारण थे जैसे कि जब जर्मनी में मंदी आयी तब वो बेरोजगार हो गया था, और फुटपाथ पर सोता था तब उसने यहूदियों को बहुत अमीर देखा था और उसने देखा था यहूदी हर क्षेत्र में जर्मनों से आगे थे. इसके अलावा यहूदियों से घृणा करने के पीछे उसकी वजह यह भी थी कि यहूदी मुख्यतः कम्युनिस्ट पार्टी को समर्थन करते थे जो हिटलर को पसंद नही था. इसके अलावा एक और वजह यह थी कि हिटलर कि माता जब बहुत अधिक बीमार थी तो उसका इलाज एक यहूदी डॉक्टर ने किया था पर वह बच नही पाई और मर गई.
आत्मकथा में बताया जर्मन आर्य सबसे श्रेष्ठ
अपनी आत्मकथा 'मीन कैम्फ'(मेरा संघर्ष) में हिटलर ने बताया कि आर्य जाति की सभी जातियों में सबसे श्रेष्ठ जर्मन आर्य हैं. उसने स्वास्तिक को अपने दल का चिह्र बनाया जो और भूरे रंग की पोशाक पहने सैनिकों की टुकड़ी तैयार की. 1923 में लिखी अपनी आत्मकथा मीन कैम्फ में हिटलर ने लिखा कि आर्य जाति सभी जातियों से श्रेष्ठ है और जर्मन आर्य हैं और उन्हें ही विश्व का नेतृत्व करना चाहिए. यहूदी सदा से संस्कृति में रोड़ा अटकाते आए हैं, जर्मन लोगों को साम्राज्यविस्तार का पूर्ण अधिकार है. फ्रांस और रूस से लड़कर उन्हें जीवित रहने के लिए भूमि हासिल करनी चाहिए.
जर्मनी में आई मंदी
1930-32 में जर्मनी में मंदी आने के चलते बेरोज़गारी बहुत बढ़ गई. जर्मनी में एक प्रतिशत से भी कम आबादी होने के बावजूद यहूदियों का बोलवाला था. वो वैज्ञानिक खोजों में आगे थे इसके अलावा वे वित्त, कला और साहित्य में भी आगे थे, जिसके चलते हिटलर को इस संपन्न समुदाय से चिढ़ होती थी. 1932 के चुनाव में हिटलर को राष्ट्रपति के चुनाव में सफलता नहीं मिली. जर्मनी की आर्थिक दशा बिगड़ती गई और विजयी देशों ने उसे सैनिक शक्ति बढ़ाने की अनुमति दी. 1933 में चांसलर बनते ही हिटलर ने जर्मन संसद को भंग कर दिया और साम्यवादी दल को गैरकानूनी घोषित कर दिया और राष्ट्र को स्वावलंबी बनने के लिए कहा.
60 लाख यहूदियों की कराई थी हत्या
1933 में एडोल्फ हिटलर जब जर्मनी की सत्ता पर काबिज हुआ था तो उसने वहां एक नस्लवादी साम्राज्य की स्थापना कर दी. जैसा कि सब जानते हैं कि वह यहूदियों से सख्त नफरत करता था. यहूदियों के प्रति हिटलर की इस नफरत का नतीजा नरसंहार के रूप में सामने आया जिसे हम इतिहास में 'होलोकास्ट' के नाम से जानते हैं. महज 6 साल के के दौरान लगभग 60 लाख यहूदियों का कत्ल कर दिया गया जिनमें से लगभग 15 लाख बच्चे शामिल थे. यहां सबसे बुरी बात यह सामने आई कि इस काम में स्थानीय लोगों ने भी हिटलर की मदद की थी लगभग 2 लाख लोगों ने यहूदियों के नरसंहार में सहयोग किया था.
हर पल सताता था मौत का डर
हिटलर को हर पल मौत का डर सताने लगा था उसके दुश्मनों ने उस पर 42 बार जानलेवा हमले किये और विफल रहे. इसी वजह से हिटलर को हर समय अपनी मौत का बहुत डर सताता रहता था. बताया जाता है कि वो अपना भोजन भी अपने सेवक से पहले चख लेने के लिए बोलता था फिर वो खुद खाता था उसे डर रहता था कि कहीं उसके भोजन में जहर न मिला दिया गया हो. हिटलर ने अपनी मौत से कुछ ही घंटे पहले अपनी प्रेमिका ईवा ब्राउन से शादी की थी. हिटलर दूसरे विश्वयुद्ध में जर्मनी की हार से बहुत दुखी था वह अपने बनाए साम्राज्य को ढहता हुआ नहीं देख सका और उसने खुद को गोली मार ली और पत्नी ईवा ब्राउन ने भी जहर खाकर आत्महत्या कर ली.
शादी के अगले दिन कर ली थी आत्महत्या
Source : News Nation Bureau