उत्तर प्रदेश के निकाय चुनावों के पहले चरण का चुनाव के लिए वोटिंग शुरु हो गई है। यूपी के निकाय चुनावों के लिए तीन चरण में वोटिंग होनी है। जबकि वोटों की गिनती 1 दिसंबर को की जाएगी।
ऐसे में निकाय चुनावों को योगी सरकार के फ्लोर टेस्ट के रूप में देखा जा रहा है। आइये जानें आखिर निकाय चुनाव योगी सरकार के लिहाज से क्यूं इतना जरूरी हैं।
- बीजेपी में एक धारणा व्यापत है कि वह जब भी विपक्ष में होते हैं तभी निकाय चुनाव में बेहतर प्रदर्शन करते हैं। साल 2012 में हुए स्थानीय चुनावों में 13 नगर निगमों में से बीजेपी ने 11 पर जीत दर्ज की थी। इस बार बीजेपी सत्ता पक्ष में है तो वह अपनी यह धारणा बदलना चाहेगी।
- मार्च में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने ऐतिहासिक जीत हासिल की थी। जिसके बाद बीजेपी ने 2019 लोकसभा चुनावों को ध्यान रखते हुए योगी आदित्यनाथ को राज्य की कमान सौंपी। ऐसे में बीजेपी की निकाय चुनावों में जीत जमीनी स्तर पर उसकी पकड़ को दर्शायेगा।
- गुजरात में 9 दिसंबर को विधानसभा चुनावों के पहले चरण की वोटिंग होगी। साथ ही 1 दिसंबर को यूपी निकाय चुनावों के परिणाम की घोषणा होनी है। ऐसे में इसका असर गुजरात में बीजेपी के प्रदर्शन पर भी देखने को मिल सकता है।
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- 8 महीनों की योगी सरकार के दौरान कई कड़े फैसले लिए गए हैं, ऐसे में जनता ने इन फैसलों को कितना स्वीकारा है उसका भी इम्तिहान इन निकाय चुनावों में देखने को मिलेगा।
- सुप्रीम कोर्ट में शिक्षा मित्रों का पक्ष सही तरीके से न रख पाने की वजह से उनमें खासी नाराजगी है, जिसको योगी सरकार ने आंशिक तौर से नजरअंदाज किया है। इन चुनावों में पश्चिमी यूपी में शिक्षामित्रों ने ड्यूटी निभाने से इंकार कर दिया और चुनावों का बहिष्कार भी कर दिया है। तो ऐसे में यह देखना महत्वपूर्ण होगा की योगी सरकार की अनदेखी का चुनाव परिणामों पर कितना असर होगा।
- तीन चरणों में होने वाले इन चुनावों को बीजेपी और योगी आदित्यनाथ की सरकार के लिये बड़ी परीक्षा मानी जा रही है। हालांकि इस चुनाव का योगी सरकार पर असर नहीं पड़ेगा लेकिन इससे राज्य के राजनीतिक भविष्य के रुख का पता चल सकता है।
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Source : News Nation Bureau