अयोध्या फैसले पर पुनर्विचार याचिका दायर करने और अयोध्या में 5 एकड़ जमीन के मसले पर लखनऊ में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) की बैठक को योगी सरकार के मंत्री मोहसिन रजा ने बड़ी साजिश बताया है. उन्होंने न्यूज नेशन से बातचीत में कहा कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड अयोध्या मसले पर हमेशा से ही विवादित काम करता रहा है. उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि लखनऊ में बैठक का क्या मतलब है. हैदराबाद या दिल्ली में भी बैठक आयोजित हो सकती थी. इसके पीछे बड़ी साजिश नजर आ रही है. लखनऊ में इसलिए बैठक आयोजित की गई जिससे जरिए कुछ लोग अपना राजनीतिक हित साध सकें.
अयोध्या फैसले पर पुनर्विचार याचिका दायर करने और अयोध्या में 5 एकड़ जमीन के मसले पर लखनऊ में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड आयोजित की जा रही है. इस बैठक के शुरू होते ही कुछ मुद्दों को लेकर सदस्यों में दो फाड़ की बात सामने आई है. पहले बैठक की एकाएक जगह बदल दी गई बाद में बैठक में भी कुछ सदस्यों के बीच से उठकर आने की खबर सामने आई. इस बैठक का बाबरी मस्जिद के पक्षकार इकबाल अंसारी ने बहिष्कार कर दिया है. उन्होंने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह हिंदुस्तान का अहम फैसला था, हम अब इस मामले को आगे नहीं बढ़ाएंगे. हम चाहते हैं कि इस मसले को यहीं पर खत्म कर दिया जाए.
यह भी पढ़ेंः अयोध्या मसले पर बैठक में मुस्लिम संगठन दो फाड़, पक्षकारों ने किया बहिष्कार
जिलानी ने जताई अपील की मंशा
बोर्ड के सचिव जफरयाब जिलानी ने बताया कि मौलाना रहमानी ने रविवार को होने वाली बोर्ड की वर्किंग कमेटी की महत्वपूर्ण बैठक से पहले रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले से जुड़े विभिन्न मुस्लिम पक्षकारों को राय जानने के लिए बुलाया था. जिलानी ने बताया कि मामले के मुद्दई मुहम्मद उमर और मौलाना महफूजुर्रहमान के साथ-साथ अन्य पक्षकारों हाजी महबूब, हाजी असद और हसबुल्ला उर्फ बादशाह ने मौलाना रहमानी से मुलाकात के दौरान कहा कि सुप्रीम कोर्ट का निर्णय समझ से परे है. इसलिए इसके खिलाफ अपील की जानी चाहिए. जिलानी ने कहा कि इन पक्षकारों ने यह भी कहा कि मुसलमानों को बाबरी मस्जिद के बदले कोई जमीन नहीं लेनी चाहिए.
यह भी पढ़ेंः AIMPLB बैठक पर बोले पक्षकार इकबाल अंसारी- अब इस मसले को यहीं खत्म करो
मस्जिद के लिए 5 एकड़ जमीन पर भी होगी चर्चा
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में मुस्लिम पक्ष को मस्जिद बनाने के लिए 5 एकड़ जमीन देने का फैसला सुनाया है. ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की आज होने वाली बैठक में इस पर भी चर्चा की जाएगी कि 5 एकड़ जमीन लेनी है या नहीं. शनिवार को लखनऊ के नदवा कॉलेज में हुई मुस्लिम पक्ष की बैठक में रिव्यू पीटिशन दायर करने पर रजामंदी हो चुकी है.
पुनर्विचार याचिका पर मुस्लिम पक्ष में असमंजस
इस मामले में पुनर्विचार याचिका दाखिल करने को लेकर मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सभी सदस्य एकमत नहीं हैं. मौलाना कल्बे जव्वाद कह चुके हैं कि देश को दोबारा इस मसने में डालना वाजिब नहीं है. दूसरी तरफ शनिवार को हुई बैठक में मुस्लिम पक्षकार इकबाल अंसारी और सुन्नी वक्फ बोर्ड ने हिस्सा नहीं लिया. दोनों पहले ही यह साफ कर चुके हैं कि इस मसले पर कोई पुनर्विचार याचिका दाखिल नहीं करेंगे. हालांकि इस मामले में एम आई सिद्दीकी समेत बाकी तीन पक्षकारों ने याचिका दायर करने को लेकर सहमति दे दी है.
यह भी पढ़ेंः अयोध्या: क्या फिर कोर्ट जाएगा अयोध्या का मामला, आज होगा तय
पुनर्विचार याचिका का विकल्प
सूत्रों की मानें तो जफरयाब जिलानी के साथ उनके कुछ समर्थक सदस्य रिव्यू पिटीशन दाखिल करने के पक्ष में हैं. उनका तर्क है कि कानूनी रूप से जब रिव्यू पिटीशन का विकल्प मिला हुआ है तो हमें इसका इस्तेमाल करना चाहिए. दूसरी तरफ मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड में एक बड़ा तबका है, जिनके तर्क हैं कि एक बड़ी समस्या का अंत हो गया है. ऐसे में हमें अब इस मामले को यहीं खत्म कर देना चाहिए.
जमीन ना लेने पर 90 फीसदी सदस्य राजी
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सूत्रों ने बताया कि वे मस्जिद बनाने के लिए पांच एकड़ जमीन स्वीकार नहीं करेंगे, क्योंकि हमारी लड़ाई कानूनी रूप से इंसाफ के लिए थी. ऐसे में हम वह जमीन लेकर पूरी जिंदगी बाबरी मस्जिद के जख्म को हरा नहीं रख सकते हैं. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट के फैसले में दी गई पांच एकड़ जमीन को मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड नहीं स्वीकारेगा. बोर्ड के तकरीबन 90 फीसदी सदस्य इस बात पर राजी हैं. सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने भी साफ कर दिया है कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की बैठक में क्या फैसला होता है, उसके बाद वह जमीन लेने पर अपनी राय रखेगा.
Source : न्यूज स्टेट ब्यूरो