उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में यूपी पुलिस ने प्रेस क्लब में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहे 31 दलित एक्टिविस्ट्स को गिरफ्तार कर लिया। हालांकि थोड़े ही देर में पुलिस ने इन सभी कार्यकर्ताओं को रिहा भी कर दिया।
पुलिस ने गिरफ्तारी का कारण बताते हुए कहा कि प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद यह सभी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आवास तक मार्च करने की तैयारी कर रहे थे. जिसको देखते हुए एहतियातन इनको हिरासत में लिया गया। पुलिस ने ये भी कहा कि इन्हे सीएम आवास तक मार्च निकालने की इजाजत नहीं दी गई थी।
गिरफ्तार किए गए दलित कार्यकर्ता और पूर्व ब्यूरोक्रेट एसआर दारापुरी ने बताया, 'वो राज्य में दलितों के साथ होने वाले उत्पीड़न के विरोध में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहे थे।'
कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया कि झांसी में रविवार को करीब 50 दलितों को लखनऊ आने से रोक दिया गया था, जो सीएम योगी से मिलना चाहते थे। दलितों के जिस दल को लखनऊ आने से रोका गया था वह गुजरात से आ रहे थे और सीएम योगी को विरोध स्वरुप 125 किलो के साबुन की टिकिया देना चाहते थे।
दलितों का यह समूह 125 किलो के साबुन की टिकिया कुशीनगर में सीएम के अनुसूचित जाति के लोगों से मिलने से पहले उन्हें नहाकर आने के लिए साबुन और शैम्पू दिए जाने के विरोध में देने आए थे।
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कुशीनगर के जिला प्रशासन पर आरोप लगा था कि सीएम योगी के दौरे से पहले उन्होंने सीएम से मिलने वाले अनुसूचित जाति के लोगों और पिछड़े मुसहर समुदाय के लोगों को साबुन-शैम्पू से नहाकर आने को कहा था।
गौरतलब है कि यूपी में सरकार बदलने के बाद भी दलितों पर कई हमले हुए हैं। सहारनपुर में कुछ राजपूतों पर दलितों के घर को जलाने का भी आरोप लगा था जिसके बाद वहां हिंसा भड़क गई थी।
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HIGHLIGHTS
- लखनऊ में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान पुलिस ने 31 दलित कार्यकर्ताओं को किया गिरफ्तार
- दलित उत्पीड़न के खिलाफ प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहे थे कार्यकर्ता
Source : News Nation Bureau