उत्तर प्रदेश में 'योगी' राज के बाद सरकार ने अपने चुनावी घोषणा पत्र 'संकल्प पत्र' पर अमल करना शुरु कर दिया है। राज्य में नई सरकार के आने के बाद ही मुस्तैद प्रशासन ने इलाहाबाद के 2 बूचड़खानों को बंद करने के आदेश जारी कर दिए इसके बाद प्रदेश भर में बूचड़खानों पर प्रशासन ने सख़्त रवैया अपनाया हुआ है और राज्य के अलग-अलग जगहों पर कसाईखानों को बंद किया जा रहा है।
बंद हुए बूचड़खाने
इस फेहरिस्त में इलाहाबाद, वाराणसी, गजरौला समेत गाज़ियाबाद के केला भट्ट के कसाईखाने शामिल है। गाजियाबाद के केला भट्टा इलाके में पुलिस ने 15 बूचड़खाने बंद कराए है। इन घटनाओं के चलते राज्य के मीट कारोबारी सकते में है।
राज्य में बीजेपी की सरकार बनने के बाद उत्तर प्रदेश के मुस्तैद प्रशासन ने साल 2016 में एनजीटी द्वारा अवैध बूचड़खानों पर लगाए गए प्रतिबंध पर तुरंत एक्शन लेना शुरु कर दिया और इलाहाबाद के 2 बूचड़खानों को बंद करवा दिया।
इस एक्शन से एक ओर जहां प्रदेश के अवैध बूचड़खानों पर ताला लगेगा वहीं दूसरी ओर राज्य सरकार को राजस्व प्राप्ति के एक ज़रिए या बड़े उद्योग को झटका भी लगेगा जिसका असर राज्य की अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा।
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बूचड़खानों की स्थिति
आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश में मौजूद 356 बूचड़खानों में से कुल 40 ही वैध हैं। भारत दुनिया में सबसे ज़्यादा बीफ उत्पादन करने वाले देशों में अमेरिका और चीन के बाद तीसरे स्थान पर है। इसके अलावा उत्तर प्रदेश देश में सबसे ज्यादा भैंस के मीट 'बीफ' एक्सपोर्ट करने वाला राज्य है।
प्रदेश के 40 वैध बूचड़खानों को बकायदा केंद्र सरकार की एग्रीकल्चरल एंड प्रोसेस्ड फूड प्रॉडक्ट्स एक्सपोर्ट डवलपमेंट अथॉरिटी यानि की APEDA से लाइसेंस मिला हुआ है जबकि बाकी के बूचड़खानें बिना लाइसेंस के धड़ल्ले से चल रहे है।
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कारोबार पर असर
देश को करीब 11000 करोड़ रुपये का राजस्व देने वाले मीट कारोबार पर चोट पड़ने पर कारोबार से जुड़े लोगों के साथ ही सरकार को भी नुकसान होगा। उत्तर प्रदेश का कानपुर शहर चमड़े के कारोबार के लिए जाना जाता है।
इसे राज्य की आर्थिक राजधानी भी कहा जाता है। कानपुर सालाना 12 अरब डॉलर का चमड़े का सामान विदेशों में एक्सपोर्ट करता है। राज्य की अर्थव्यवस्था में बड़ी भागीदारी निभाने वाले इस राज्य में कुल 6 बूचड़खाने ही वैध है जबकि अवैध की संख्या 50 से ज़्यादा है।
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बेरोजगारी के छाएंगे बादल
मेरठ के एक वैध बूचड़खाने के मालिक मोहम्मद इमरान के मुताबिक इनके यहां करीब 1500 लोग काम करते हैं। उधर उन्नाव के एक बूचड़खाने में करीब 800 लोग काम करते हैं।
भैसे के मीट यानि 'बीफ' का निर्यात करने वाले सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में अगर इस प्रकार बूचड़खानों पर ताला लगेगा तो राज्य में बेरोजगारी की समस्या भी बढ़ेगी और राज्य की अर्थव्यवस्था पर भी बड़ी चोट पड़ेगी।
ऐसे में सरकार को आने वाली इन चुनौतियों से निपटने के लिए नए विकल्पों की तलाश करनी होगी और इन समस्याओं से निपटने की रणनीति भी बनानी होगी ताकि विकास के नारे के साथ सत्ता की सीट पर काबिज़ हुए बीजेपी सरकार को अपने हिंदुत्व के चोले से नुकसान न उठाना पड़े।
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Source : Shivani Bansal